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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 12th January 2025

 1.     “आज सर्व खजानों के मालिक अपने चारों ओर के सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे को सर्व खजानों के मालिक बनाया है। ऐसा खजाना मिला है जो और कोई दे नहीं सकता। तो हर एक अपने को खजानों से सम्पन्न अनुभव करते हो? सबसे श्रेष्ठ खजाना है ज्ञान का खजाना, शक्तियों का खजाना, गुणों का खजाना, साथसाथ बाप और सर्व ब्राह्मण आत्माओं द्वारा दुआओं का खजाना। तो चेक करो यह सर्व खजाने प्राप्त हैं? सर्व खजानों से जो सम्पन्न आत्मा है उसकी निशानी सदा नयनों से, चेहरे से, चलन से खुशी औरों को भी अनुभव होगी। जो भी आत्मा सम्पर्क में भी आयेगी वह अनुभव करेगी कि यह आत्मा अलौकिक खुशी से, अलौकिक न्यारी दिखाई देती है। आपकी खुशी को देख दूसरी आत्मायें भी थोड़े समय के लिए खुशी अनुभव करेंगी।”

 

2.    “एकाग्रता की शक्ति अव्यक्त फरिश्ता स्थिति का सहज अनुभव करायेगी। मन भटकता है, चाहे व्यर्थ बातों में, चाहे व्यर्थ संकल्पों में, चाहे व्यर्थ व्यवहार में। जैसे कोईकोई को शरीर से भी एकाग्र होकर बैठने की आदत नहीं होती है, कोई को होती है। तो मन जहाँ चाहो, जैसे चाहो, जितना समय चाहो उतना और ऐसा एकाग्र होना इसको कहा जाता है मन वश में है। एकाग्रता की शक्ति, मालिकपन की शक्ति सहज निर्विघ्न बना देती है। युद्ध नहीं करनी पड़ती है। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एक बाप दूसरा कोईयह अनुभूति होती है। स्वत: होगी, मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। एकाग्रता की शक्ति से स्वत: ही एकरस फरिश्ता स्वरूप की अनुभूति होती है।”

 

3.    “ब्राह्मण माना ही है पवित्र आत्मा। अपवित्रता का अगर कोई कार्य होता भी है तो यह बड़ा पाप है। इस पाप की सजा बहुत कड़ी है। ऐसे नहीं समझना यह तो चलता ही है। थोड़ा बहुत तो चलेगा ही, नहीं। यह फर्स्ट सबजेक्ट है। नवीनता ही पवित्रता की है। ब्रह्मा बाप ने अगर गालियां खाई तो पवित्रता के कारण। हो गया, ऐसे छूटेंगे नहीं। अलबेले नहीं बनो इसमें। कोई भी ब्राह्मण चाहे सरेण्डर है, चाहे सेवाधारी है, चाहे प्रवृत्ति वाला है, इस बात में धर्मराज भी नहीं छोड़ेगा, ब्रह्मा बाप भी धर्मराज को साथ देगा इसलिए कुमार कुमारियां कहाँ भी हो, मधुबन में हो, सेन्टर पर हो लेकिन इसकी चोट, संकल्प मात्र की चोट भी बहुत बड़ी चोट है। गीत गाते हो नापवित्र मन रखो, पवित्र तन रखो.. गीत है ना आपका। तो मन पवित्र है तो जीवन पवित्र है इसमें हल्के नहीं होना, थोड़ा कर लिया क्या है! थोड़ा नहीं है, बहुत है। बापदादा आफिशियल इशारा दे रहा है, इसमें नहीं बच सकेंगे। इसका हिसाबकिताब अच्छी तरह से लेंगे, कोई भी हो इसलिए सावधान, अटेन्शन। सुनासभी ने ध्यान से। दोनों कान खोल के सुनना। वृत्ति में भी टचिंग नहीं हो। दृष्टि में भी टचिंग नहीं। संकल्प में नहीं तो वृत्ति दृष्टि क्या है! क्योंकि समय सम्पन्नता का समीप रहा है, बिल्कुल प्युअर बनने का। उसमें यह चीज़ तो पूरा ही सफेद कागज पर काला दाग है।”

 


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