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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 10th January 2025

 “प्रश्नः

इस संगमयुग पर आपके पास सबसे अमूल्य चीज़ कौन सी है, जिसकी सम्भाल करनी है?

उत्तर:-
इस सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल में आपकी यह जीवन बहुत अमूल्य है, इसलिए शरीर की सम्भाल जरूर करनी है। ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये! नहीं। इनको जीते रखना है। कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए। उनको बोलो तुम शिवबाबा को याद करो। जितना याद करेंगे उतना पाप कटते जायेंगे। उनकी सर्विस करनी चाहिए, जीता रहे, शिवबाबा को याद करता रहे।”

 

1.     “बाबा भी शरीर को नहीं देखते हैं। बाप कहते हैं मैं आत्माओं को देखता हूँ। बाकी यह तो ज्ञान है कि आत्मा शरीर बिगर बोल नहीं सकती। मैं भी इस शरीर में आया हूँ, लोन लिया हुआ है। शरीर साथ ही आत्मा पढ़ सकती है। बाबा की बैठक यहाँ (भ्रकुटी में) है। यह है अकाल तख्त। आत्मा अकालमूर्त है। आत्मा कब छोटी बड़ी नहीं होती है। शरीर छोटा बड़ा होता है। जो भी आत्मायें हैं उन सभी का तख्त यह भृकुटी है। शरीर तो सभी के भिन्नभिन्न होते हैं। किसका अकाल तख्त पुरुष का है, किसका अकाल तख्त स्त्री का है, किसका अकाल तख्त बच्चे का है। बाप बैठ बच्चों को रूहानी ड्रिल सिखलाते हैं। जब कोई से बात करो तो पहले अपने को आत्मा समझो। हम आत्मा फलाने भाई से बात करते हैं। बाप का पैगाम देते हैं कि शिवबाबा को याद करो। याद से ही जंक उतरनी है। सोने में जब अलाय पड़ती है तो सोने की वैल्यु ही कम हो जाती है। तुम आत्माओं में भी जंक पड़ने से तुम वैल्युलेस हो गये हो। अब फिर पावन बनना है। तुम आत्माओं को अब ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है। उस नेत्र से अपने भाईयों को देखो। भाईभाई को देखने से कर्मेन्द्रियाँ चंचल नहीं होंगी। राज्यभाग्य लेना है, विश्व का मालिक बनना है तो यह मेहनत करो। भाईभाई समझ सभी को ज्ञान दो। तो फिर यह टेव (आदत) पक्की हो जायेगी। सच्चेसच्चे ब्रदर्स तुम सभी हो।”

 

2.    “जब कोई उल्टीसुल्टी बात बोले तो तुम चुप रहो। तुम चुप रहेंगे तो फिर दूसरा क्या करेगा! ताली दो हाथ से बजती है। एक ने मुख की ताली बजाई, दूसरा चुप कर दे तो वह आपेही चुप हो जायेंगे। ताली से ताली बजने से आवाज हो जाता है। बच्चों को एक दो का कल्याण करना है। बाप समझाते हैं बच्चे सदैव खुशी में रहने चाहते हो तो मन्मनाभव। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।”

 

3.    “बाप कहते हैं मैं तुम आत्माओं को ज्ञान दे रहा हूँ। आत्मा को ही देखता हूँ। मनुष्यमनुष्य से बात करेंगे तो उनके मुँह को देखेंगे ना। तुम आत्मा से बात करते हो तो आत्मा को ही देखना है। भल शरीर द्वारा ज्ञान देते हो परन्तु इसमें शरीर का भान तोड़ना होता है। तुम्हारी आत्मा समझती है परमात्मा बाप हमको ज्ञान दे रहे हैं। बाप भी कहते हैं आत्माओं को देखता हूँ, आत्मायें भी कहती हम परमात्मा बाप को देख रहे हैं। उनसे नॉलेज ले रहे हैं, इसको कहा जाता है स्प्रीचुअल ज्ञान की लेनदेन, आत्मा की आत्मा के साथ। आत्मा में ही ज्ञान है। आत्मा को ही ज्ञान देना है। यह जैसे जौहर है। तुम्हारे ज्ञान में यह जौहर भर जायेगा। तो किसको भी समझाने से झट तीर लग जायेगा। बाप कहते हैं प्रैक्टिस करके देखो, तीर लगता है ना। यह नई टेव डालनी है तो फिर शरीर का भान निकल जायेगा। माया के तूफान कम आयेंगे। बुरे संकल्प नहीं आयेंगे। क्रिमिनल आई भी नहीं रहेगी। हम आत्मा ने 84 का चक्र लगाया। अब नाटक पूरा होता है। अब बाबा की याद में रहना है। याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बन, सतोप्रधान दुनिया के मालिक बन जायेंगे। कितना सहज है। बाप जानते हैं बच्चों को यह शिक्षा देना भी मेरा पार्ट ही है।”

 

4.    “यह है तुम ब्राह्मणों का सर्वोत्तम ऊंच ते ऊंच कुल। इस समय तुम्हारा जीवन अमूल्य है इसलिए इस शरीर की भी सम्भाल करनी है। तमोप्रधान होने कारण शरीर की आयु भी कम होती गई है। अब तुम जितना योग में रहेंगे, उतना आयु बढ़ेगी। तुम्हारी आयु बढ़तेबढ़ते 150 वर्ष हो जायेगी सतयुग में, इसलिए शरीर की भी सम्भाल करनी है। ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये। नहीं। इनको जीते रखना है। यह अमूल्य जीवन है ना! कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए। उनको भी बोलो शिवबाबा को याद करो। जितना याद करेंगे उतना उनके पाप कटते जायेंगे। उनकी सर्विस करनी चाहिए। जीता रहे, शिवबाबा को याद करता रहे। यह समझ तो रहती है ना हम बाबा को याद करते हैं। आत्मा याद करती है, बाप से वर्सा पाने के लिए।”

 


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