Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 2nd February 2025

 1.     “मन्सा द्वारा शक्ति स्वरूप बनाओ। महादानी बन मन्सा द्वारा, वायब्रेशन द्वारा निरन्तर शक्तियों का अनुभव कराओ। वाचा द्वारा ज्ञान दान दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो। सारा दिन चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्म तीनों द्वारा अखण्ड महादानी बनो। समय प्रमाण अभी दानी नहीं, कभीकभी दान किया, नहीं, अखण्ड दानी क्योंकि आत्माओं को आवश्यकता है। तो महादानी बनने के लिए पहले अपना जमा का खाता चेक करो। चार ही सबजेक्ट में जमा का खाता कितनी परसेन्ट में है? अगर स्वयं में जमा का खाता नहीं होगा तो महादानी कैसे बनेंगे! और जमा के खाते को चेक करने की निशानी क्या है? मन्सा, वाचा, कर्म द्वारा सेवा तो की लेकिन जमा की निशानी हैसेवा करते हुए पहले स्वयं की सन्तुष्टता। साथसाथ जिन्हों की सेवा करते, उन आत्माओं में खुशी की सन्तुष्टता आई? अगर दोनों तरफ सन्तुष्टता नहीं तो समझो सेवा के खाते में आपकी सेवा का फल जमा नहीं हुआ।”

 

2.    “अगर सन्तुष्टता का अनुभव नहीं किया, चाहे स्वयं, चाहे दूसरे तो जमा का खाता कम होता है। बापदादा ने जमा का खाता बहुत सहज बढ़ाने की गोल्डन चाबी बच्चों को दी है। जानते हो वह चाबी क्या है? मिली तो है ना! सहज जमा का खाता भरपूर करने की गोल्डन चाबी हैकोई भी मन्सावाचाकर्म, किसी में भी सेवा करने के समय एक तो अपने अन्दर निमित्त भाव की स्मृति। निमित्त भाव, निर्मान भाव, शुभ भाव, आत्मिक स्नेह का भाव, अगर इस भाव की स्थिति में स्थित होकर सेवा करते हो तो सहज आपके इस भाव से आत्माओं की भावना पूर्ण हो जाती है। आज के लोग हर एक का भाव क्या है, वह नोट करते हैं। क्या निमित्त भाव से कर रहे हैं, वा अभिमान के भाव से! जहाँ निमित्त भाव है वहाँ निर्मान भाव ऑटोमेटिकली जाता है। तो चेक करोक्या जमा हुआ? कितना जमा हुआ? क्योंकि इस समय संगमयुग ही जमा करने का युग है। फिर तो सारा कल्प जमा की प्रालब्ध है। तो इस वर्ष क्या विशेष अटेन्शन देना है? अपनेअपने जमा का खाता चेक करो। चेकर भी बनो, मेकर भी बनो क्योंकि समय की समीपता के नज़ारे देख रहे हो।”

 

3.    “ब्रह्मा बाप के समान बनना है तो ब्रह्मा बाप का विशेष चरित्र क्या देखा? आदि से लेकर अन्त तक हर बात में, मैं कहा या बाबा कहा? मैं कर रहा हूँ, नहीं, बाबा करा रहा है। किससे मिलने आये हो? बाबा से मिलने आये हो। मैं पन का अभाव, अविद्या, यह देखा ना! देखा? हर मुरली में बाबा, बाबा कितना बार याद दिलाते हैं? तो समान बनना, इसका अर्थ ही है पहले मैं पन का अभाव हो। पहले सुनाया है कि ब्राह्मणों का मैंपन भी बहुत रॉयल है। याद है ना? सुनाया था ना! सब चाहते हैं कि बापदादा की प्रत्यक्षता हो। बापदादा की प्रत्यक्षता करें। प्लैन बहुत बनाते हो। अच्छे प्लैन बनाते हो, बापदादा खुश है। लेकिन यह रॉयल रूप का मैंपन प्लैन में, सफलता में कुछ परसेन्टेज़ कम कर देता है। नेचुरल संकल्प में, बोल में, कर्म में, हर संकल्प में बाबा, बाबा स्मृति में हो। मैंपन नहीं। बापदादा करावनहार करा रहा है। जगतअम्बा की यही विशेष धारणा रही। जगत अम्बा का स्लोगन याद है, पुरानों को याद होगा। है याद? बोलो, (हुक्मी हुक्म चलाए रहा) यह थी विशेष धारणा जगत अम्बा की। तो नम्बर लेना है, समान बनना है तो मैं पन खत्म हो जाए। मुख से ऑटोमेटिक बाबाबाबा शब्द निकले। कर्म में, आपकी सूरत में बाप की मूरत दिखाई दे तब प्रत्यक्षता होगी। बापदादा यह रॉयल रूप के मैंमैं के गीत बहुत सुनते हैं। मैंने जो किया वही ठीक है, मैंने जो सोचा वही ठीक है, वही होना चाहिए, यह मैं पन धोखा दे देता है। सोचो भले, कहो भले लेकिन निमित्त और निर्मान भाव से।”

 

4.    “सिर्फ बापदादा के तीन शब्द शिक्षा के याद रखोसबको याद हैं! मन्सा में निराकारी, वाचा में निरंहकारी, कर्म में निर्विकारी। जब भी संकल्प करते हो तो निराकारी स्थिति में स्थित होके संकल्प करो और सब भूल जाए लेकिन यह तीन शब्द नहीं भूलो। यह साकार रूप की तीन शब्दों की शिक्षा सौगात है। तो ब्रह्मा बाप से साकार रूप में भी प्यार रहा है।”

 

5.    “तो ब्रह्मा बाप से प्यार है तो इन तीन शब्दों की शिक्षा से प्यार। इसमें सम्पन्न बनना या समान बनना बहुत सहज हो जायेगा। याद करो ब्रह्मा बाप ने क्या कहा!”

 

6.    “तो नये वर्ष में वाचा की सेवा भले करो, धूमधाम से करो लेकिन अनुभव कराने की सेवा सदा अटेन्शन में रखो। सब अनुभव करें कि इस बहन द्वारा या भाई द्वारा हमें शक्ति का अनुभव हुआ, शान्ति का अनुभव हुआ, क्योंकि अनुभव कभी भूलता नहीं है। सुना हुआ भूल जाता है। अच्छा लगता है लेकिन भूल जाता है। अनुभव ऐसी चीज़ है जो खींच के उसको आपके नजदीक लायेगी। सम्पर्क वाला सम्बन्ध में आता रहेगा क्योंकि सम्बन्ध के बिना वर्से के अधिकारी नहीं बन सकते हैं। तो अनुभव सम्बन्ध में लाने वाला है।”

 

7.     “बापदादा एकएक बच्चे का चेहरा, बापदादा का मुखड़ा देखने का दर्पण बनाने चाहते हैं। आपके दर्पण में बापदादा दिखाई दे। तो ऐसा विचित्र दर्पण बापदादा को गिफ्ट में दो। दुनिया में तो ऐसा कोई दर्पण है ही नहीं जिसमें परमात्मा दिखाई दे। तो आप इस नये वर्ष की ऐसी गिफ्ट दो जो विचित्र दर्पण बन जाओ। जो भी देखे, जो भी सुने तो उसको बापदादा ही दिखाई दे, सुनाई दे। बाप का आवाज सुनाई दे।”

 

8.    “सुख देने वाले तो दुनिया में अनेक आत्मायें हैं, आप सुख देने, सुख लेने वाले, सुखदाता के बच्चे सुख स्वरूप हो। कभी सुख के झूले में झूलो, कभी प्यार के झूले में झूलो, कभी शान्ति के झूले में झूलो। झूलते ही रहो। नीचे मिट्टी में पांव नहीं रखना। झूलते ही रहना। खुश रहना और सभी को खुश रखना और लोगों को खुशी बांटना।”


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