Key Points From Daily Murli – 9th March 2025
2. “ज्ञान धन अर्थात् समझदार बन, त्रिकालदर्शी बन कर्म करना। नॉलेजफुल बनना। फुल नॉलेज और तीनों कालों की नॉलेज को समझ ज्ञान धन को कार्य में लगाना। इस ज्ञान के खजाने से प्रत्यक्ष जीवन में, हर कार्य में यूज़ करने से विधि से सिद्धि मिलती है – जो कई बंधनों से मुक्ति और जीवनमुक्ति मिलती है।”
3. “ब्राह्मण आत्मायें जब तक स्वयं बन्धन मुक्त नहीं हुए हैं, कोई भी सोने की, हीरे की रॉयल बंधन की रस्सी बंधी हुई है तो सर्व आत्माओं के लिए मुक्ति का गेट खुल नहीं सकता। आपके बंधनमुक्त बनने से सर्व आत्माओं के लिए मुक्ति का गेट खुलेगा। तो गेट खोलने की वा सर्व आत्माओं के दु:ख, अशान्ति से मुक्त होने की जिम्मेवारी आपके ऊपर है।”
4. “अभी तक जो कुछ हुआ – उसे फुलस्टॉप लगाओ। बीती को चिंतन में न लाना – यही तीव्र पुरूषार्थ है। यदि कोई बीती को चिंतन करता है तो समय, शक्ति, संकल्प सब वेस्ट हो जाता है। अभी वेस्ट करने का समय नहीं है क्योंकि संगमयुग की दो घड़ी अर्थात् दो सेकेण्ड भी वेस्ट किया तो अनेक वर्ष वेस्ट कर दिये इसलिए समय के महत्व को जान अब बीती को फुलस्टॉप लगाओ। फुलस्टॉप लगाना अर्थात् सर्व खजानों से फुल बनना।”
5. “जब हर संकल्प श्रेष्ठ होगा तब स्वयं का और विश्व का कल्याण होगा।”
6. “ज्ञान की कोई भी बात अथॉरिटी के साथ, सत्यता और सभ्यता से बोलो, संकोच से नहीं। प्रत्यक्षता करने के लिए पहले स्वयं को प्रत्यक्ष करो, निर्भय बनो। भाषण में शब्द कम हों लेकिन ऐसे शक्तिशाली हों जिसमें बाप का परिचय और स्नेह समाया हुआ हो, जो स्नेह रूपी चुम्बक आत्माओं को परमात्मा तरफ खींचे।”