Key Points From Daily Murli – 15th December 2024
1. “संकल्प बहुत अच्छे करते हो, इतने अच्छे संकल्प करते हैं जो सुन–सुन खुश हो जाते हैं। संकल्प करते हो लेकिन बाद में क्या होता है? संकल्प कमजोर क्यों हो जाते हैं? जब चाहते भी हो क्योंकि बाप से प्यार बहुत है, बाप भी जानते हैं कि बापदादा से सभी बच्चों का दिल से प्यार है और प्यार में सभी हाथ उठाते हैं कि 100 परसेन्ट तो क्या लेकिन 100 परसेन्ट से भी ज्यादा प्यार है और बाप भी मानते हैं प्यार में सब पास हैं। लेकिन क्या है? लेकिन है कि नहीं है? लेकिन आता है कि नहीं आता है? पाण्डव, बीच–बीच में लेकिन आ जाता है? ना नहीं करते हैं, तो हाँ है। बापदादा ने मैजारिटी बच्चों की एक बात नोट की है, प्रतिज्ञा कमजोर होने का एक ही कारण है, एक ही शब्द है। सोचो, वह एक शब्द क्या है? टीचर्स बोलो एक शब्द क्या है? पाण्डव बोलो एक शब्द क्या है? याद तो आ गया ना! एक शब्द है – ‘मैं‘। अभिमान के रूप में भी ‘मैं‘ आता है और कमजोर करने में भी ‘मैं‘ आता है। मैंने जो कहा, मैंने जो किया, मैंने जो समझा, वही राइट है। वही होना चाहिए। यह अभिमान का ‘मैं‘। मैं जब पूरा नहीं होता है तो फिर दिलशिकस्त में भी आता है, मैं कर नहीं सकता, चल नहीं सकता, बहुत मुश्किल है। एक बॉडी–कॉन्सेसनेस का ‘मैं‘ बदल जाए, ‘मैं‘ स्वमान भी याद दिलाता है और ‘मैं‘ देह–अभिमान में भी लाता है। ‘मैं‘ दिलशिकस्त भी करता है और ‘मैं‘ दिलखुश भी करता है और अभिमान की निशानी जानते हो क्या होती है? कभी भी किसी में भी अगर बॉडी कॉन्सेस का अभिमान अंश मात्र भी है, उसकी निशानी क्या होगी? वह अपना अपमान सहन नहीं कर सकेगा। अभिमान अपमान सहन नहीं करायेगा। जरा भी कोई कहेगा ना – यह ठीक नहीं है, थोड़ा निर्माण बन जाओ, तो अपमान लगेगा, यह अभिमान की निशानी है।”