Key Points From Daily Murli – 10th February 2025
“प्रश्नः–
सभी मनुष्य–मात्र दु:खी क्यों बने हैं, उसका मूल कारण क्या है?
उत्तर:-
रावण ने सभी को श्रापित कर दिया है, इसलिए सभी दु:खी बने हैं। बाप वर्सा देता, रावण श्राप देता – यह भी दुनिया नहीं जानती। बाप ने वर्सा दिया तब तो भारतवासी इतने सुखी स्वर्ग के मालिक बनें, पूज्य बनें। श्रापित होने से पुजारी बन जाते हैं।”
1. “बच्चे जानते हैं बाप आधाकल्प के लिए आकर वर्सा देते हैं और रावण फिर श्राप देते हैं। यह भी दुनिया नहीं जानती कि हम सभी श्रापित हैं। रावण का श्राप लगा हुआ है इसलिए सभी दु:खी हैं।”
2. “तुम बच्चे हो योगबल वाले। वह हैं बाहुबल वाले। तुम भी हो युद्ध के मैदान पर, परन्तु तुम हो डबल अहिंसक। वह है हिंसक। हिंसा काम कटारी को कहा जाता है। संन्यासी भी समझते हैं यह हिंसा है इसलिए पवित्र बनते हैं। परन्तु तुम्हारे सिवाए बाप के साथ प्रीत कोई की है नहीं।”
3. “लक्ष्मी–नारायण कोई एक नहीं, इन्हों की डिनायस्टी होगी ना फिर उन्हों के बच्चे राजा बनते होंगे। राजायें तो बहुत बनते हैं ना। सारी माला बनी हुई है। माला को ही सिमरण करते हैं ना। जो बाप के मददगार बन बाप की सर्विस करते हैं उन्हों की ही माला बनती है। जो पूरा चक्र में आते, पूज्य पुजारी बनते हैं उन्हों का यह यादगार है। तुम पूज्य से पुजारी बनते हो तो फिर अपनी माला को बैठ पूजते हो। पहले माला पर हाथ लगाकर फिर माथा टेकेंगे। पीछे माला को फेरना शुरू करते हैं। तुम भी सारा चक्र लगाते हो फिर शिवबाबा से वर्सा पाते हो। यह राज़ तुम ही जानते हो। मनुष्य तो कोई किसके नाम पर, कोई किसके नाम पर माला फेरते हैं। जानते कुछ भी नहीं। अभी तुमको माला का सारा ज्ञान है, और कोई को यह ज्ञान नहीं।”
4. “पढ़ाई पर ध्यान नहीं देंगे तो इम्तहान में नापास हो जायेंगे। पढ़ते और पढ़ाते रहेंगे तो खुशी भी रहेगी। अगर विकार में गिरा तो बाकी यह सब भूल जायेगा। आत्मा जब पवित्र सोना हो तब उसमें धारणा अच्छी हो। सोने का बर्तन होता है पवित्र गोल्डन। अगर कोई पतित बना तो ज्ञान सुना नहीं सकता।”
5. “बेहद का बाप कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते यह अन्तिम जन्म फार माई सेक (मेरे सदके) पवित्र बनो। बच्चों से यह भीख मांगते हैं। कमल फूल समान पवित्र बनो और मुझे याद करो तो यह जन्म भी पवित्र बनेंगे और याद में रहने से पास्ट के विकर्म भी विनाश होंगे। यह है योग अग्नि, जिससे जन्म–जन्मान्तर के पाप दग्ध होते हैं। सतोप्रधान से सतो, रजो, तमो में आते हैं तो कला कम हो जाती है। खाद पड़ती जाती है। अब बाप कहते हैं सिर्फ मामेकम् याद करो। बाकी पानी की नदियों में स्नान करने से थोड़ेही पावन बनेंगे। पानी भी तत्व है ना। 5 तत्व कहे जाते हैं। यह नदियाँ कैसे पतित–पावनी हो सकती हैं। नदियाँ तो सागर से निकलती हैं। पहले तो सागर पतित–पावन होना चाहिए ना।”
6. “अपनी एक्यूरेट एम ऑबजेक्ट को सामने रख पूरा पुरूषार्थ करना है। डबल अहिंसक बन मनुष्य को देवता बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य करते रहना है।”