Key Points From Daily Murli – 19th February 2025
2. “अभी तुम धणी के बने हो। माया कई बार बच्चों को भी निधन का बना देती है, छोटी–छोटी बातों में आपस में लड़ पड़ते हैं। बाप की याद में नहीं रहते तो निधन के हुए ना। निधनका बना तो जरूर कुछ न कुछ पाप कर्म कर देंगे। बाप कहते हैं मेरा बनकर मेरा नाम बदनाम न करो। एक–दो से बड़ा प्यार से चलो, उल्टा–सुल्टा बोलो मत।”
3. “शिवबाबा को ही रूद्र कहा जाता है। रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला निकली तो रूद्र भगवान हुआ ना। श्रीकृष्ण को तो रूद्र नहीं कहेंगे। विनाश भी कोई श्रीकृष्ण नहीं कराते, बाप ही स्थापना, विनाश, पालना कराते हैं। खुद कुछ नहीं करते, नहीं तो दोष पड़ जाए। वह है करनकरावनहार। बाप कहते हैं हम कोई कहते नहीं हैं कि विनाश करो। यह सारा ड्रामा में नूँधा हुआ है। शंकर कुछ करता है क्या? कुछ भी नहीं। यह सिर्फ गायन है कि शंकर द्वारा विनाश। बाकी विनाश तो वह आपेही कर रहे हैं। यह अनादि बना हुआ ड्रामा है जो समझाया जाता है।”
4. “रचयिता बाप को ही सब भूल गये हैं। कहते हैं गॉड फादर रचयिता है परन्तु उनको जानते ही नहीं। समझते हैं कि वह दुनिया क्रियेट करते हैं। बाप कहते हैं मैं क्रियेट नहीं करता हूँ, मैं चेन्ज करता हूँ। कलियुग को सतयुग बनाता हूँ। मैं संगम पर आता हूँ, जिसके लिये गाया हुआ है – सुप्रीम ऑस्पीशियस युग। भगवान कल्याणकारी है, सबका कल्याण करते हैं परन्तु कैसे और क्या कल्याण करते हैं, यह कुछ जानते नहीं। अंग्रेजी में कहते हैं लिबरेटर, गाइड, परन्तु उनका अर्थ थोड़ेही समझते हैं।”
5. “शिव भगवानु–वाच मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे। मैं ही पतित–पावन हूँ। तुम पवित्र हो जायेंगे फिर सबको ले जाऊंगा। मैसेज घर–घर में दो। बाप कहते हैं – मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। तुम पवित्र बन जायेंगे। विनाश सामने खड़ा है। तुम बुलाते भी हो हे पतित–पावन आओ, पतितों को पावन बनाओ, रामराज्य स्थापन करो, रावण राज्य से मुक्त करो। वह हर एक अपने–अपने लिए कोशिश करते हैं। बाप तो कहते हैं मैं आकर सर्व की मुक्ति करता हूँ। सभी 5 विकारों रूपी रावण की जेल में पड़े हैं, मैं सर्व की सद्गति करता हूँ। मुझे कहा भी जाता है दु:ख हर्ता सुख कर्ता। रामराज्य तो जरूर नई दुनिया में होगा।“
6. “तुम पाण्डवों की अभी है प्रीत बुद्धि। कोई–कोई की तो फौरन प्रीत बुद्धि बन जाती है। कोई–कोई की आहिस्ते–आहिस्ते प्रीत जुटती है। कोई तो कहते हैं बस हम सब कुछ बाप को सरेन्डर करते हैं। सिवाए एक के दूसरा कोई रहा ही नहीं। सबका सहारा एक गॉड ही है। कितनी सिम्पुल से सिम्पुल बात है। बाप को याद करो और चक्र को याद करो तो चक्रवर्ती राजा–रानी बनेंगे। यह स्कूल ही है विश्व का मालिक बनने का, तब चक्रवर्ती राजा नाम पड़ा है। चक्र को जानने से फिर चक्रवर्ती बनते हैं। यह बाप ही समझाते हैं। बाकी आरग्यु कुछ भी नहीं करनी है। बोलो, भक्ति मार्ग की सब बातें छोड़ो। बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो।”
7. “जो तीव्र पुरूषार्थी होते हैं वह जोर से पढ़ाई में लग जाते हैं, जिनको पढ़ाई का शौक होता है वह सवेरे उठ–कर पढ़ाई करते हैं। भक्ति वाले भी सवेरे उठते हैं। नौधा भक्ति कितनी करते हैं, जब सिर काटने लगते हैं तो साक्षात्कार होता है। यहाँ तो बाबा कहते हैं यह साक्षात्कार भी नुकसानकारक है। साक्षात्कार में जाने से पढ़ाई और योग दोनों बंद हो जाते हैं। टाइम वेस्ट हो जाता है इसलिए ध्यान आदि का शौक तो बिल्कुल नहीं रखना है। यह भी बड़ी बीमारी है, जिससे माया की प्रवेशता हो जाती है। जैसे लड़ाई के समय न्यूज़ सुनाते हैं तो बीच में ऐसी कुछ खराबी कर देते हैं जो कोई सुन न सके। माया भी बहुतों को विघ्न डालती है। बाप को याद करने नहीं देती है। समझा जाता है इनकी तकदीर में विघ्न है। देखा जाता है कि माया की प्रवेशता तो नहीं है। बेकायदे तो नहीं कुछ बोलते हैं तो फिर झट बाबा नीचे उतार देंगे। बहुत मनुष्य कहते हैं – हमको सिर्फ साक्षात्कार हो तो इतना सब धन माल आदि हम आपको दे देंगे। बाबा कहते हैं यह तुम अपने पास ही रखो। भगवान को तुम्हारे पैसे की क्या दरकार रखी है। बाप तो जानते हैं इस पुरानी दुनिया में जो कुछ है, सब भस्म हो जायेगा। बाबा क्या करेंगे? बाबा पास तो फुरी–फुरी (बूँद–बूँद) तलाव हो जाता है। बाप के डायरेक्शन पर चलो, हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोलो, जहाँ कोई भी आकर विश्व का मालिक बन सके। तीन पैर पृथ्वी में बैठ तुमको मनुष्य को नर से नारायण बनाना है। परन्तु 3 पैर पृथ्वी के भी नहीं मिलते हैं।”
8. “बाप कहते हैं मैं तुमको सभी वेदों–शास्त्रों का सार बताता हूँ। यह शास्त्र हैं सब भक्ति मार्ग के। बाबा कोई निंदा नहीं करते हैं। यह तो खेल बना हुआ है। यह सिर्फ समझाने के लिए कहा जाता है। है तो फिर भी खेल ना। खेल की हम निंदा नहीं कर सकते हैं। हम कहते हैं ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा तो फिर वह चन्द्रमा आदि में जाकर ढूँढते हैं। वहाँ कोई राजाई रखी है क्या? जापानी लोग सूर्य को मानते हैं। हम कहते हैं सूर्यवंशी, वह फिर सूर्य की बैठ पूजा करते हैं, सूर्य को पानी देते हैं। तो बाबा ने बच्चों को समझाया है कोई बात में जास्ती आरग्यु नहीं करनी है। बात ही एक सुनाओ बाप कहते हैं – मामेकम् याद करो तो पावन बनेंगे।”
9. “बच्चे, तुम्हारी एक आंख में शान्तिधाम, एक आंख में सुखधाम बाकी इस दु:खधाम को भूल जाओ। तुम हो चैतन्य लाइट हाउस। अभी प्रदर्शनी में भी नाम रखा है – भारत दी लाइट हाउस……. लेकिन वह कोई थोड़ेही समझेंगे। तुम अभी लाइट हाउस हो ना। पोर्ट पर लाइट हाउस स्टीमर को रास्ता बताते हैं। तुम भी सबको रास्ता बताते हो मुक्ति और जीवनमुक्ति धाम का।”
10. “तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए पढ़ाई का शौक रखना है। सवेरे–सवेरे उठकर पढ़ाई पढ़नी है। साक्षात्कार की आश नहीं रखनी है, इसमें भी टाइम वेस्ट जाता है।”
11. “रूहानी शान में रहो तो कभी भी अभिमान की फीलिंग नहीं आयेगी।”