Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From Daily Sakar Vaani and Avyakt Vaani – In Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 3rd March 2025

 1.     “यह भी बच्चों को समझाया है तुम जब ऊपर से आते हो तो वाया सूक्ष्मवतन से नहीं आते हो। अभी वाया सूक्ष्मवतन होकर जाना है। सूक्ष्मवतन बाबा अभी ही दिखाते हैं।”

 

2.    “तुम जानते हो हम ही पूज्य से पुजारी बन बाबा की और अपनी पूजा करते हैं। यह (बाबा) भी नारायण की पूजा करते थे ना। वन्डरफुल खेल है। जैसे नाटक देखने से खुशी होती है ना, वैसे यह भी बेहद का नाटक है, इनको कोई भी जानते नहीं। तुम्हारी बुद्धि में अब सारा ड्रामा का राज़ है।”

 

3.    “तुम जानते हो अभी बाकी थोड़ा समय है, हम जा रहे हैं नई दुनिया में। भविष्य की खुशी रहती है तो वह इस दु: को उड़ा देती है। लिखते हैं बाबा बहुत विघ्न पड़ते हैं, घाटा पड़ जाता है। बाप कहते हैं कुछ भी विघ्न आयें, आज लखपति हो, कल कखपति बन जाते हो। तुमको तो भविष्य की खुशी में रहना है ना। यह है ही रावण की आसुरी दुनिया। चलतेचलते कोई कोई विघ्न पड़ेगा। इस दुनिया में बाकी थोड़े दिन हैं फिर हम अथाह सुखों में जायेंगे। बाबा कहते हैं नाकल सांवरा था, गांवड़े का छोरा था, अभी बाप हमको नॉलेज दे गोरा बना रहे हैं।”

 

4.    “जिस भण्डारे से खाया, कहते हैं बाबा यह सब आपका है। बाप कहते हैं ट्रस्टी होकर सम्भालो। बाबा सब कुछ आपका दिया हुआ है। भक्ति मार्ग में सिर्फ कहने मात्र कहते थे। अभी मैं तुमको कहता हूँ ट्रस्टी बनो। अभी मैं सम्मुख हूँ। मैं भी ट्रस्टी बन फिर तुमको ट्रस्टी बनाता हूँ। जो कुछ करो पूछ कर करो। बाबा हर बात में राय देते रहेंगे।”

 

5.    “पवित्र रहते भी माया का थप्पड़ लग जाता है, खराब हो पड़ते हैं। माया बड़ी प्रबल है। वह भी काम वश हो जाते हैं, फिर कहा जाता है ड्रामा की भावी। इस घड़ी तक जो कुछ हुआ कल्प पहले भी हुआ था। नथिंगन्यु। अच्छा काम करने में विघ्न डालते हैं, नई बात नहीं।”

 

6.    “जिन्होंने कल्प पहले ज्ञान लिया होगा, उनका ताला खुलता जायेगा। वह आते रहेंगे।”

 

7.    “बाप समझते हैं जो बिल्कुल पत्थरबुद्धि हैं उन्हें पारसबुद्धि बनाना है।

 

8.    “जो सर्व खजानों से सम्पन्न है वही सदा सन्तुष्ट है। सन्तुष्टता अर्थात् सम्पन्नता। जैसे बाप सम्पन्न है इसलिए महिमा में सागर शब्द कहते हैं, ऐसे आप बच्चे भी मास्टर सागर अर्थात् सम्पन्न बनो तो सदा खुशी में नाचते रहेंगे। अन्दर खुशी के सिवाए और कुछ नहीं सकता। स्वयं सम्पन्न होने के कारण किसी से भी तंग नहीं होंगे। किसी भी प्रकार की उलझन या विघ्न एक खेल अनुभव होगा, समस्या मनोरंजन का साधन बन जायेगी। निश्चयबुद्धि होने के कारण सदा हर्षित और विजयी होंगे।”

 

9.    “परमात्मा तीन रूप धारण कर वर्सा देता है। वह हमारा बाप भी है, टीचर भी है तो गुरू भी है।”

 

10.                  सत्य ऐसा सूर्य है जो छिप नहीं सकता, चाहे कितनी भी दीवारें कोई आगे लाये लेकिन सत्यता का प्रकाश कभी छिप नहीं सकता। सभ्यता पूर्वक बोल, सभ्यता पूर्वक चलन, इसमें ही सफलता होती है।”

 


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