Key Points From Daily Murli – 17th January 2025
- “हे प्रभू, ईश्वर, परमात्मा कहने और पिता अक्षर कहने में कितना फर्क हैं। हे ईश्वर, हे प्रभू कहने से कितना रिगार्ड रहता है। और फिर उनको पिता कहते हैं, तो पिता अक्षर बहुत साधारण है। पितायें तो ढेर के ढेर हैं। प्रार्थना में भी कहते हैं – हे प्रभू, हे ईश्वर। बाबा क्यों नहीं कहते? है तो परमपिता ना। परन्तु बाबा अक्षर जैसे दब जाता है, परमात्मा अक्षर ऊंचा हो जाता है। बुलाते हैं – हे प्रभू, नैन हीन को राह बताओ। आत्मायें कहती हैं – बाबा, हमको मुक्ति–जीवनमुक्ति की राह बताओ। प्रभू अक्षर कितना बड़ा है। पिता अक्षर हल्का है। यहाँ तुम जानते हो बाप आकर समझाते हैं। लौकिक रीति से तो पितायें बहुत हैं, बुलाते भी हैं तुम मात–पिता……. कितना साधारण अक्षर है। ईश्वर वा प्रभू कहने से समझते हैं वह क्या नहीं कर सकते हैं। अभी तुम बच्चे जानते हो बाप आया हुआ है। बाप रास्ता बहुत ही ऊंच सहज बतलाते हैं।”