Key Points From Daily Murli – 9th February 2025
2. “मास्टर सर्व शक्तिवान स्वरूप में देख रहे हैं। शक्तिवान नहीं, सर्व–शक्तिवान। यह सर्व शक्तियां बाप द्वारा हर एक बच्चे को वरदान में मिली हुई हैं। दिव्य जन्म लेते ही बाप–दादा ने वरदान दिया – सर्वशक्तिवान भव! यह हर जन्म दिवस का वरदान है। इन शक्तियों को प्राप्त वरदान के रूप से कार्य में लगाओ। शक्तियां तो हर एक बच्चे को मिली हैं लेकिन कार्य में लगाने में नम्बरवार हो जाते हैं। हर शक्ति के वरदान को समय प्रमाण आर्डर कर सकते हो। अगर वरदाता के वरदान के स्मृति स्वरूप बन समय अनुसार किसी भी शक्ति को आर्डर करेंगे तो हर शक्ति हाज़िर होनी ही है। वरदान की प्राप्ति के, मालिकपन के स्मृति स्वरूप में हो आप आर्डर करो और शक्ति समय पर कार्य में नहीं आये, हो नहीं सकता। लेकिन मालिक, मास्टर सर्वशक्तिवान के स्मृति की सीट पर सेट हो, बिना सीट पर सेट के कोई आर्डर नहीं माना जाता है। जब बच्चे कहते हैं कि बाबा हम आपको याद करते तो आप हाज़िर हो जाते हो, हज़ूर हाज़िर हो जाता है। जब हज़ूर हाज़िर हो सकता तो शक्ति क्यों नहीं हाज़िर होगी! सिर्फ विधि पूर्वक मालिकपन के अथॉरिटी से आर्डर करो। यह सर्व शक्तियां संगमयुग की विशेष परमात्म प्रॉपर्टी है। प्रॉपर्टी किसके लिए होती है? बच्चों के लिए प्रॉपर्टी होती है। तो अधिकार से स्मृति स्वरूप की सीट से आर्डर करो, मेहनत क्यों करो, आर्डर करो। वर्ल्ड अथॉरिटी के डायरेक्ट बच्चे हो, यह स्मृति का नशा सदा इमर्ज रहे।”
3. “अपने आपको चेक करो – वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी की अधिकारी आत्मा हूँ, यह स्मृति स्वत: ही रहती है? रहती है या कभी–कभी रहती है? आजकल के समय में तो अधिकार लेने के ही झगड़े हैं और आप सबको परमात्म अधिकार, परमात्म अथॉरिटी जन्म से ही प्राप्त है। तो अपने अधिकार की समर्थी में रहो। स्वयं भी समर्थ रहो और सर्व आत्माओं को भी समर्थी दिलाओ।”
4. “तो बाप कहते हैं “हे समर्थ आत्मायें सर्व आत्माओं को शक्ति दो, समर्थी दो।” इसके लिए सिर्फ एक बात का अटेन्शन हर बच्चे को रखना आवश्यक है – जो बापदादा ने इशारा भी दिया, बापदादा ने रिजल्ट में देखा कि मैजारिटी बच्चों का संकल्प और समय व्यर्थ जाता है। जैसे बिजली का कनेक्शन अगर थोड़ा भी लूज़ हो वा लीक हो जाए तो लाइट ठीक नहीं आ सकती। तो यह व्यर्थ की लीकेज़ समर्थ स्थिति को सदाकाल की स्मृति बनाने नहीं देती, इसलिए वेस्ट को बेस्ट में चेन्ज करो। बचत की स्कीम बनाओ। परसेन्टेज़ निकालो – सारे दिन में वेस्ट कितना हुआ, बेस्ट कितना हुआ? अगर मानो 40 परसेन्ट वेस्ट है, 20 परसेन्ट वेस्ट है तो उसको बचाओ। ऐसे नहीं समझो थोड़ा सा ही तो वेस्ट जाता है, बाकी तो सारा दिन ठीक रहता है। लेकिन यह वेस्ट की आदत बहुत समय की आदत होने के कारण लास्ट घड़ी में धोखा दे सकती है। नम्बरवार बना देगी, नम्बरवन नहीं बनने देगी। जैसे ब्रह्मा बाप ने आदि में अपनी चेकिंग के कारण रोज़ रात को दरबार लगाई। किसकी दरबार? बच्चों की नहीं, अपनी ही कर्मेन्द्रियों की दरबार लगाई। आर्डर चलाया – हे मन मुख्य मंत्री यह तुम्हारी चलन अच्छी नहीं, आर्डर में चलो। हे संस्कार आर्डर में चलो। क्यों नीचे ऊपर हुआ, कारण बताओ, निवारण करो। हर रोज़ ऑफिशियल दरबार लगाई। ऐसे रोज़ अपनी स्वराज्य दरबार लगाओ।”
5. “कई बच्चे बापदादा से मीठी–मीठी रूहरिहान करते हैं। पर्सनल रूहरिहान करते हैं, बतायें। कहते हैं हमको अपने भविष्य का चित्र बताओ, हम क्या बनेंगे? जैसे आदि रत्नों को याद होगा कि जगत अम्बा माँ से सभी बच्चे अपना चित्र मांगते थे, मम्मा आप हमको चित्र दो हम कैसे हैं। तो बापदादा से भी रूहरिहान करते अपना चित्र मांगते हैं। आप सबकी भी दिल तो होती होगी कि हमको भी चित्र मिल जाए तो अच्छा है। लेकिन बापदादा कहते हैं – बापदादा ने हर एक बच्चे को एक विचित्र दर्पण दिया है, वह दर्पण कौन सा है? वर्तमान समय आप स्वराज्य अधिकारी हो ना! हो? स्वराज्य अधिकारी हो? हो तो हाथ उठाओ। स्व–राज्य, अधिकारी हो? अच्छा। कोई–कोई नहीं उठा रहे हैं। थोड़ा–थोड़ा हैं क्या? अच्छा। सभी स्वराज्य अधिकारी हो, मुबारक हो। तो स्वराज्य अधिकार का चार्ट आपके लिए भविष्य पद की शक्ल दिखाने का दर्पण है। यह दर्पण सबको मिला हुआ है ना? क्लीयर है ना? कोई ऐसे काले दाग तो नहीं लगे हुए हैं ना! अच्छा, काले दाग तो नहीं होंगे, लेकिन कभी–कभी जैसे गर्म पानी होता है ना, वह कोहरे के मुआफिक आइने पर आ जाता है। जैसे फागी होती है ना, तो आइने पर ऐसा हो जाता है जो आइना क्लीयर नहीं दिखाता है। नहाने के समय तो सबको अनुभव होगा। तो ऐसा अगर कोई एक भी कर्मेन्द्रिय अभी तक भी आपके पूरे कन्ट्रोल में नहीं है, है कन्ट्रोल में लेकिन कभी–कभी नहीं भी है। अगर मानों कोई भी कर्मेन्द्रिय, चाहे आंख हो, चाहे मुख हो, चाहे कान हो, चाहे पाँव हो, पाँव भी कभी–कभी बुरे संग के तरफ चला जाता है। तो पाँव भी कन्ट्रोल में नहीं हुआ ना। संगठन में बैठ जायेंगे, रामायण और भागवत की उल्टी कथायें सुनेंगे, सुल्टी नहीं। तो कोई भी कर्मेन्द्रिय संकल्प, समय सहित अगर कन्ट्रोल में नहीं है तो इससे ही चेक करो जब स्वराज्य में कन्ट्रोलिंग पॉवर नहीं है तो विश्व के राज्य में कन्ट्रोल क्या करेंगे! तो राजा कैसे बनेंगे? वहाँ तो सब एक्यूरेट है। कन्ट्रोलिंग पॉवर, रूलिंग पॉवर सब स्वत: ही संगमयुग के पुरुषार्थ की प्रालब्ध के रूप में है। तो संगमयुग अर्थात् वर्तमान समय अगर कन्ट्रोलिंग पॉवर, रूलिंग पॉवर कम है, तो पुरुषार्थ कम तो प्रालब्ध क्या होगी? हिसाब करने में तो होशियार हो ना! तो इस आइने में अपना फेस देखो, अपनी शक्ल देखो। राजा की आती है, रॉयल फैमिली की आती है, रॉयल प्रजा की आती है, साधारण प्रजा की आती है, कौन सी शक्ल आती है? तो मिला चित्र? इस चित्र से चेक करना। हर रोज़ चेक करना क्योंकि बहुतकाल के पुरुषार्थ से, बहुतकाल के राज्य भाग्य की प्राप्ति है। अगर आप सोचो कि अन्त के समय बेहद का वैराग्य तो आ ही जायेगा, लेकिन अन्त समय आयेगा तो बहुतकाल हुआ या थोड़ा काल हुआ? बहुतकाल तो नहीं कहेंगे ना! तो 21 जन्म पूरा ही राज्य अधिकारी बनें, तख्त पर भले नहीं बैठें, लेकिन राज्य अधिकारी हों। यह बहुतकाल (पुरुषार्थ का), बहुतकाल की प्रालब्ध का कनेक्शन है इसीलिए अलबेले नहीं बनना, अभी तो विनाश की डेट फिक्स ही नहीं है, पता ही नहीं। 8 वर्ष होगा, 10 वर्ष होगा, पता तो है ही नहीं। तो आने वाले समय में हो जायेंगे, नहीं। विश्व के अन्तकाल सोचने के पहले अपने जन्म का अन्तकाल सोचो, आपके पास डेट फिक्स है, किसके पास पता है कि इस डेट पर मेरा मृत्यु होना है? है किसके पास? नहीं है ना! विश्व का अन्त तो होना ही है, समय पर होगा ही लेकिन पहले अपनी अन्तकाल सोचो और जगदम्बा का स्लोगन याद करो – क्या स्लोगन था? हर घड़ी अपनी अन्तिम घड़ी समझो। अचानक होना है। डेट नहीं बताई जायेगी। ना विश्व की, ना आपके अन्तिम घड़ी की। सब अचानक का खेल है इसलिए दरबार लगाओ, हे राजे, स्वराज्य अधिकारी राजे अपनी दरबार लगाओ। आर्डर में चलाओ क्योंकि भविष्य का गायन है, लॉ एण्ड आर्डर होगा। स्वत: ही होगा। लव और लॉ दोनों का ही बैलेन्स होगा। नेचुरल होगा। राजा कोई लॉ पास नहीं करेगा कि यह लॉ है। जैसे आजकल लॉ बनाते रहते हैं। आजकल तो पुलिस वाला भी लॉ उठा लेता है। लेकिन वहाँ नेचुरल लव और लॉ का बैलेन्स होगा।”
6. “तो अभी आलमाइटी अथॉरिटी की सीट पर सेट रहो। तो यह कर्मेन्द्रियां, शक्तियां, गुण सब आपके आगे जी हज़ूर, जी हज़ूर करेंगे। धोखा नहीं देंगे।”
7. “वेस्ट खत्म क्योंकि आपके सफलतामूर्त बनने से आत्माओं को तृप्ति की सफलता प्राप्त होगी। निराशा से चारों ओर शुभ आशाओं के दीप जगेंगे। कोई भी सफलता होती है तो दीपक तो जगाते हैं ना! अब विश्व में आशाओं के दीप जगाओ। हर आत्मा के अन्दर कोई न कोई निराशा है ही, निराशाओं के कारण परेशान हैं, टेन्शन में हैं। तो हे अविनाशी दीपकों अब आशाओं के दीपकों की दीवाली मनाओ। पहले स्व फिर सर्व।”
8. “अभी आलमाइटी अथॉरिटी में मास्टर हैं, इसमें पास होना, तो यह प्रकृति, यह माया, यह संस्कार, सब आपके दासी बन जायेंगे। हर घड़ी इन्तजार करेंगे मालिक क्या आर्डर है!”
9. “सब संकल्प समाप्त करो, यही ड्रिल करो “ओ बाबा मीठे बाबा, प्यारे बाबा हम आपके समान अव्यक्त रूपधारी बनें कि बनें।“
10. “चोट लगाने वाले का काम है चोट लगाना और आपका काम है अपने को बचा लेना।”