Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

6th April 2025

1.    रूहानी फ़खुर में रहते हो इसलिए बेफिक्र बादशाह हो। सवेरे उठते हैं तो भी बेफिक्र, चलते फिरते, कर्म करते भी बेफिक्र और सोते हो तो भी बेफिक्र नींद में सोते हो। ऐसे अनुभव करते हो ना!”

 

2.    बेफिक्र और बादशाह हो, स्वराज्य अधिकारी इन कर्मेन्द्रियों के ऊपर राज्य करने वाले बेफिक्र बादशाह हो अर्थात् स्वराज्य अधिकारी हो।

 

3.    कोई फिक्र है? है कोई फिक्र? क्योंकि अपने सारे फिकर बाप को दे दिये हैं। तो बोझ उतर गया ना! फिकर खत्म और बेफिक्र बादशाह बन अमूल्य जीवन अनुभव कर रहे हो।

 

4.    बेफिक्र बादशाह की निशानी हैसदा स्वयं भी सन्तुष्ट और औरों को भी सन्तुष्ट करने वाले। कभी भी कोई अप्राप्ति है ही नहीं जो असन्तुष्ट हो। जहाँ अप्राप्ति है वहाँ असन्तुष्टता है। जहाँ प्राप्ति है वहाँ सन्तुष्टता है।

 

5.    बेफिक्र बनने की विधि बहुत सहज है, मुश्किल नहीं है। सिर्फ एक शब्द की मात्रा का थोड़ा सा अन्तर है। वह शब्द हैमेरे को तेरे में परिवर्तन करो। मेरा नहीं तेरा, तो हिन्दी भाषा में मेरा भी लिखो और तेरा भी लिखो तो क्या फ़र्क होता है, मे और ते का? लेकिन फ़र्क इतना हो जाता है। तो आप सब मेरेमेरे वाले हो या तेरेतेरे वाले हो? मेरे को तेरे में परिवर्तन कर लिया? नहीं किया हो तो कर लो। मेरामेरा अर्थात् दास बनने वाला, उदास बनने वाला। माया के दास बन जाते हैं ना तो उदास तो होंगे ना! उदासी अर्थात् माया के दासी बनने वाले। तो आप मायाजीत हो, माया के दास नहीं। तो उदासी आती है? कभीकभी टेस्ट कर लेते हो, क्योंकि 63 जन्म उदास रहने का अभ्यास है ना! तो कभीकभी वह इमर्ज हो जाती है इसलिए बापदादा ने क्या कहा? हर एक बच्चा बेफिक्र बादशाह है। अगर अभी भी कहाँ कोने में कोई फिकर रख दिया हो तो दे दो। अपने पास बोझ क्यों रखते हो? बोझ रखने की आदत पड़ गई है? जब बाप कहते हैं बोझ मेरे को दे दो, आप लाइट हो जाओ, डबल लाइट। डबल लाइट अच्छा या बोझ अच्छा? तो अच्छी तरह से चेक करना। अमृतवेले जब उठो तो चेक करना कि विशेष वर्तमान समय सबकॉन्सेस में भी कोई बोझ तो नहीं है? सबकॉन्सेस तो क्या स्वप्न मात्र भी बोझ का अनुभव नहीं हो। पसन्द तो डबल लाइट है ना! तो विशेष यह होम वर्क दे रहे हैं, अमृतवेले चेक करना। चेक करना तो आता है ना, लेकिन चेक के साथ, सिर्फ चेक नहीं करना चेंज भी करना। मेरे को तेरे में चेंज कर देना। मेरा, तेरा। तो चेक करो और चेंज करो क्योंकि बापदादा बारबार सुना रहे हैंसमय और स्वयं दोनों को देखो। समय की रफ्तार भी देखो और स्वयं की रफ्तार भी देखो। फिर यह नहीं कहना कि हमको तो पता ही नहीं था, समय इतना तेज चला गया। कई बच्चे समझते हैं कि अभी थोड़ा ढीला पुरुषार्थ अगर है भी तो अन्त में तेज कर लेंगे। लेकिन बहुतकाल का अभ्यास अन्त में सहयोगी बनेगा। बादशाह बनके तो देखो। बने हैं लेकिन कोई बने हैं, कोई नहीं बने हैं। चल रहे हैं, कर रहे हैं, सम्पन्न हो जायेंगे अब चलना नहीं है, करना नहीं है, उड़ना है। अभी उड़ने की रफ्तार चाहिए। पंख तो मिल गये हैं ना! उमंगउत्साह और हिम्मत के पंख सबको मिले हैं और बाप का वरदान भी है, याद है वरदान? हिम्मत का एक कदम आपका और हजार कदम मदद बाप की, क्योंकि बाप का बच्चों से दिल का प्यार है। तो प्यार वाले बच्चों की बाप मेहनत नहीं देख सकते। मुहब्बत में रहो तो मेहनत समाप्त हो जायेगी।

 

6.    खज़ाने बाप ने सबको एक जैसे, एक जितना दिया है, कोई को कम, कोई को ज्यादा नहीं दिया है। खज़ाने जमा होने की निशानी क्या है? खज़ाने का तो मालूम ही है ना, सबसे बड़ा खज़ाना है श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना। संकल्प भी खज़ाना है, तो वर्तमान समय भी बहुत बड़ा खज़ाना है क्योंकि वर्तमान समय में जो कुछ प्राप्त करने चाहे, जो वरदान लेने चाहे, जितना अपने को श्रेष्ठ बनाने चाहे, उतना अभी बना सकते हैं। अब नहीं तो कब नहीं। जैसे संकल्प के खज़ाने को व्यर्थ गँवाना अर्थात् अपने प्राप्तियों को गँवाना। ऐसे ही समय के एक सेकण्ड को भी व्यर्थ गँवाया, सफल नहीं किया तो बहुत गँवाया। साथ में ज्ञान का खज़ाना, गुणों का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना और हर आत्मा और परमात्मा द्वारा दुआओं का खज़ाना।

 

7.    सबसे सहज है पुरुषार्थ मेंदुआयें दो और दुआयें लो।सुख दो और सुख लो, दु: दो दु: लो। ऐसे नहीं कि दु: दिया नहीं लेकिन ले लो तो भी दु:खी तो होंगे ना! तो दुआयें दो, सुख दो और सुख लो।

 

8.    दुआयें लेते जाओ दुआयें देते जाओ, सम्पन्न हो जायेंगे। कोई बददुआ देवे तो क्या करेंगे? लेंगे? बददुआ आपको देता है तो आप क्या करेंगे? लेंगे? अगर बददुआ मानों ले लिया तो आपके अन्दर स्वच्छता रही? बददुआ तो खराब चीज़ है ना! आपने ले ली, अपने अन्दर स्वीकार कर ली तो आपका अन्दर स्वच्छ तो नहीं रहा ना! अगर ज़रा भी डिफेक्ट रहा तो परफेक्ट नहीं बन सकते। अगर खराब चीज़ कोई देवे तो क्या आप ले लेंगे? कोई बहुत सुन्दर फल हो लेकिन आपको खराब हुआ दे देवे, फल तो बढ़िया है फिर ले लेंगे? नहीं लेंगे ना कि कहेंगे अच्छा तो है, चलो दिया है तो ले लें। कभी भी कोई बददुआ दे तो आप मन में अन्दर धारण नहीं करो। समझ में आता है यह बददुआ है लेकिन बददुआ अन्दर धारण नहीं करो, नहीं तो डिफेक्ट हो जायेगा। तो अभी यह वर्ष, अभी थोड़े दिन पड़े हैं पुराने वर्ष में लेकिन अपने दिल में दृढ़ संकल्प करो, अभी भी किसकी बददुआ मन में हो तो निकाल दो और कल से दुआ देंगे, दुआ लेंगे।

 

9.    कुछ भी हो जाए, हिम्मत रखो। दृढ़ संकल्प रखो। अगर मानों कभी बददुआ का प्रभाव पड़ भी जावे ना तो 10 गुणा दुआयें ज्यादा दे करके उसको खत्म कर देना। एक बददुआ के प्रभाव को 10 गुणा दुआयें देके हल्का कर देना फिर हिम्मत जायेगी। नुकसान तो अपने को होता है ना, दूसरा तो बददुआ देके चला गया लेकिन जिसने बददुआ समा ली, दु:खी कौन होता है? लेने वाला या देने वाला? देने वाला भी होता है लेकिन लेने वाला ज्यादा होता है। देने वाला तो अलबेला होता है।

 

10.                  बापदादा की यही आशा है कि हर बच्चा दुआयें देता रहे। दुआओं का खज़ाना जितना जमा कर सको उतना करते जाओ क्योंकि इस समय जितनी दुआयें इकट्ठी करेंगे, जमा करेंगे उतना ही जब आप पूज्य बनेंगे तो आत्माओं को दुआयें दे सकेंगे। सिर्फ अभी दुआयें आपको नहीं देनी है, द्वापर से लेके भक्तों को भी दुआयें देनी हैं। तो इतना दुआओं का स्टॉक जमा करना है।

 

11.                  सबसे बड़े ते बड़ी दासी प्रकृति है। जो बच्चे प्रकृतिजीत बनने का वरदान प्राप्त कर लेते हैं उनके आर्डर प्रमाण सर्व शक्तियां और प्रकृति रूपी दासी कार्य करती है अर्थात् समय पर सहयोग देती हैं। लेकिन यदि प्रकृतिजीत बनने के बजाए अलबेलेपन की नींद में अल्पकाल की प्राप्ति के नशे में व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होकर अपना समय गॅवाते हो तो शक्तियां आर्डर पर कार्य नहीं कर सकती इसलिए चेक करो कि पहले मुख्य संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनों ही आर्डर में हैं?”

 

 Link to the original Murli:


[youtube https://www.youtube.com/watch?v=Gs2Kzev4BOE]



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