Key Points From Daily Murli – 30th March 2025
1. “वाह भाग्य विधाता! और वाह मेरा भाग्य! इस श्रेष्ठ भाग्य की विशेषता यही है – एक भगवान द्वारा तीन सम्बन्ध की प्राप्ति है। एक द्वारा एक में तीन सम्बन्ध, जो जीवन में विशेष सम्बन्ध गाये हुए हैं – बाप, शिक्षक, सतगुरू, किसी को भी एक द्वारा तीन विशेष सम्बन्ध और प्राप्ति नहीं है। आप फलक से कहते हो हमारा बाप भी है, शिक्षक भी है तो सतगुरू भी है।”
2. “बापदादा ने देखा है कि स्मृति में ज्ञान भी रहता है, नशा भी रहता है, निश्चय भी रहता है, लेकिन अभी एडीशन चाहिए – चलन और चेहरे से दिखाई दे। बुद्धि में याद सब रहता है, स्मृति में भी आता है लेकिन अब स्वरूप में आवे। जब साधारण रूप में भी अगर कोई बड़े आक्यूपेशन वाला है या कोई साहूकार का बच्चा एज्यूकेटेड है तो उसकी चलन से दिखाई पड़ता है कि यह कुछ है। उनका कुछ न कुछ न्यारापन दिखाई देता है। तो इतना बड़ा भाग्य, वर्सा भी है, पढ़ाई और पद भी है। स्वराज्य तो अभी भी है ना! प्राप्तियां भी सब हैं, लेकिन चलन और चेहरे से भाग्य का सितारा मस्तक में चमकता हुआ दिखाई दे, वह अभी एडीशन चाहिए। अभी लोगों को आप श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माओं द्वारा यह अनुभव होना है, चाहिए नहीं, होना है कि यह हमारे इष्ट देव हैं, इष्ट देवियां हैं। यह हमारे हैं। जैसे ब्रह्मा बाप में देखा – साधारण तन में होते भी आदि के समय भी ब्रह्मा बाप में क्या दिखाई देता था, कृष्ण दिखाई देता था ना! आदि वालों को अनुभव है ना! तो जैसे आदि में ब्रह्मा बाप द्वारा कृष्ण दिखाई देता था ऐसे ही लास्ट में क्या दिखाई देता था? अव्यक्त रूप दिखाई देता था ना! चलन में, चेहरे में दिखाई दिया ना! अभी बापदादा विशेष निमित्त बच्चों को यह होम वर्क दे रहा है कि अभी ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त रूप दिखाई दे।”