Key Points From Daily Murli – 27th January 2025
2. “बाप कहते हैं जो जिस भावना से याद करते हैं, मैं उनकी भावना पूरी कर सकता हूँ। कोई गणेश का पुजारी होगा तो उनको गणेश का साक्षात्कार करायेंगे। साक्षात्कार होने से समझते हैं बस मुक्तिधाम में पहुँच गया। परन्तु नहीं, मुक्तिधाम में कोई जा न सके।”
3. “बाप समझाते हैं माया से बड़ा खबरदार रहना है। माया ऐसा उल्टा काम करा लेगी। फिर अन्त में बहुत रोना, पछताना पड़ेगा – भगवान आया और हम वर्सा ले न सके! फिर प्रजा में भी दास–दासी जाकर बनेंगे। पीछे पढ़ाई तो पूरी हो जाती है, फिर बहुत पछताना पड़ता है इसलिए बाप पहले से ही समझा देते हैं कि फिर पछताना न पड़े। जितना बाप को याद करते रहेंगे तो योग अग्नि से पाप भस्म होंगे। आत्मा सतोप्रधान थी फिर उसमें खाद पड़ते–पड़ते तमोप्रधान बनी है।”
4. “चित्रों में दिखाते हैं – विष्णु की नाभी से ब्रह्मा निकला। उन द्वारा बैठ सब शास्त्रों वेदों का राज़ समझाया। अभी तुम जानते हो ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा बनते हैं। ब्रह्मा द्वारा स्थापना करते फिर जो स्थापना हुई उनकी पालना भी जरूर करेंगे ना। यह सब अच्छी रीति समझाया जाता है, जो समझते हैं उनको यह ख्याल रहेगा कि यह रूहानी नॉलेज कैसे सबको मिलनी चाहिए।”
5. “हर सेकेण्ड, हर संकल्प में बाबा–बाबा याद रहे, मैं पन समाप्त हो जाए, जब मैं नहीं तो मेरा भी नहीं। मेरा स्वभाव, मेरे संस्कार, मेरी नेचर, मेरा काम या ड्यूटी, मेरा नाम, मेरी शान….जब यह मैं और मेरा पन समाप्त हो जाता तो यही समानता और सम्पूर्णता है। यह मैं और मेरे पन का त्याग ही बड़े से बड़ा सूक्ष्म त्याग है। इस मैं पन के अश्व को अश्वमेध यज्ञ में स्वाहा करो तब अन्तिम आहुति पड़ेगी और विजय के नगाड़े बजेंगे।“
6. “मन्सा द्वारा सकाश तब दे सकेंगे जब निरन्तर एकरस स्थिति में स्थित होने का अभ्यास होगा। इसके लिए पहले व्यर्थ संकल्पों को शुद्ध संकल्पों में परिवर्तन करो। फिर माया द्वारा आने वाले अनेक प्रकार के विघ्नों को ईश्वरीय लगन के आधार से समाप्त करो। एक बाप दूसरा न कोई इस पाठ द्वारा एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ।”