Key Points From Daily Murli – 24th January 2025
2. “इस समय है कांटों का जंगल। यह बगीचा नहीं है। यह तो क्लीयर समझाना चाहिए कि भारत फूलों का बगीचा था। बगीचे में कभी जंगली जानवर रहते हैं क्या? वहाँ तो देवी–देवता रहते हैं। बाप तो है ही हाइएस्ट अथॉरिटी और फिर यह प्रजापिता ब्रह्मा भी हाइएस्ट अथॉरिटी ठहरे।”
3. “शिव और प्रजापिता ब्रह्मा। आत्मायें हैं शिव बाबा के बच्चे और फिर साकार में हम भाई–बहन सब हैं प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे। यह है सबका ग्रेट–ग्रेट ग्रैन्ड फादर। ऐसे हाइएस्ट अथॉरिटी के लिए हमको मकान चाहिए। ऐसे तुम लिखो फिर देखो बुद्धि में कुछ आता है। शिवबाबा और प्रजापिता ब्रह्मा, आत्माओं का बाप और सब मनुष्य मात्र का बाप। यह प्वाइंट बहुत अच्छी है समझाने की।”
4. “जब पूरा योग हो तब विकर्म विनाश हों। विश्व का मालिक बनना कोई मासी का घर थोड़ेही है। बाबा देखते हैं, माया एकदम नाक से पकड़कर गटर में गिरा देती है। बाप की याद में तो बड़ी खुशी में प्रफुल्लित रहना चाहिए। सामने एम ऑब्जेक्ट खड़ी है, हम यह लक्ष्मी–नारायण बन रहे हैं। भूल जाने से खुशी का पारा नहीं चढ़ता है।”
5. “बाबा को कितना साधारण रीति से किस–किस से बात करनी पड़ती है। सम्भालना पड़ता है। बाप कितना क्लीयर कर समझाते हैं। समझते भी हैं तो बात बड़ी ठीक है। फिर भी क्यों बड़े–बड़े काँटे बन जाते हैं। एक–दो को दु:ख देने से काँटे बन जाते हैं। आदत छोड़ते ही नहीं। अभी बागवान बाप फूलों का बगीचा लगाते हैं। काँटों को फूल बनाते रहते हैं। उनका धन्धा ही यह है। जो खुद ही काँटा होगा तो फूल कैसे बनायेगा? प्रदर्शनी में भी बड़ी खबरदारी से किसको भेजना होता है। अच्छे गुणवान बच्चे वह जो कांटों को फूल बनाने की अच्छी सेवा करते हैं। किसी को भी कांटा नहीं लगाते हैं अर्थात् किसी को दु:ख नहीं देते हैं। कभी भी आपस में लड़ते नहीं हैं। तुम बच्चे बहुत एक्यूरेट समझाते हो। इसमें किसी की इनसल्ट की तो बात ही नहीं।”
6. “जैसे बाप साधारण तन लेते हैं, जैसे आप बोलते हो वैसे ही बोलते हैं, वैसे ही चलते हैं तो कर्म भल साधारण है, लेकिन स्थिति ऊंची रहती है। ऐसे आप बच्चों की भी स्थिति सदा ऊंची हो। डबल लाइट बन ऊंची स्थिति में स्थित हो कोई भी साधारण कर्म करो। सदैव यही स्मृति में रहे कि अवतरित होकर अवतार बन करके श्रेष्ठ कर्म करने के लिए आये हैं। तो साधारण कर्म अलौकिक कर्म में बदल जायेंगे।”
7. “जितना स्वयं को मन्सा सेवा में बिज़ी रखेंगे उतना सहज मायाजीत बन जायेंगे। सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं बनो लेकिन औरों को भी शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करने की सेवा करो। भावना और ज्ञान, स्नेह और योग दोनों का बैलेन्स हो। कल्याणकारी तो बने हो अब बेहद विश्व कल्याणकारी बनो।”