Key Points From Daily Murli – 17th November 2024
1. “वर्तमान समय माया के विशेष दो रूप बच्चों का पेपर लेते हैं। एक व्यर्थ संकल्प, विकल्प नहीं, व्यर्थ संकल्प। दूसरा – “मैं ही राइट हूँ”। जो किया, जो कहा, जो सोचा…. मैं कम नहीं, राइट हूँ। बापदादा समय के प्रमाण अब यही चाहते हैं कि एक शब्द सदा स्मृति में रखो – बाप से हुई सर्व प्राप्तियों का, स्नेह का, सहयोग का रिटर्न करना है। रिटर्न करना अर्थात् समान बनना। दूसरा – अब हमारी रिटर्न–जर्नी (वापिसी यात्रा) है। एक ही शब्द रिटर्न सदा याद रहे। इसके लिए बहुत सहज साधन है – हर संकल्प, बोल और कर्म को ब्रह्मा बाप से टैली (मिलान) करो।”
2. “पहले चेक करो, जैसे कहावत है पहले सोचो फिर करो, पहले तोलो फिर बोलो।”
3. “जैसे ब्रह्मा बाप सदा निमित्त और निर्माण रहे, ऐसे निमित्त भाव और निर्माण भाव। सिर्फ निमित्त भाव नहीं, निमित्त भाव के साथ निर्माण भाव, दोनों आवश्यक हैं क्योंकि टीचर्स तो निमित्त हैं ना! तो संकल्प में भी, बोल में भी और किसी के भी संबंध में, सम्पर्क में, कर्म में, हर बोल में निर्माण। जो निर्माण है वही निमित्त भाव में है। जो निर्माण नहीं है उसमें थोड़ा बहुत सूक्ष्म, महान रूप में अभिमान नहीं भी हो तो रोब होगा। ये रोब, यह भी अभिमान का अंश है और बोल में सदा निर्मल भाषी, मधुर भाषी। जब सम्बन्ध–सम्पर्क में आत्मिक रूप की स्मृति रहती है तो सदा निराकारी और निरहंकारी रहते हैं। ब्रह्मा बाप के लास्ट के तीनों शब्द याद रहते हैं? निराकारी, निरहंकारी वही निर्विकारी।”