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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 16th March 2025

 1.     “हर एक बच्चे के तीन राज तख्त देख रहे हैं। यह तीन तख्त सारे कल्प में इस संगम पर ही आप बच्चों को प्राप्त होते हैं। दिखाई दे रहे हैं तीन तख्त? एक तो यह भ्रकुटी रूपी तख्त, जिस पर आत्मा चमक रही है। दूसरा तख्त हैपरमात्म दिल तख्त। दिल तख्त नशीन हो ना! और तीसरा हैभविष्य विश्व तख्त। सबसे भाग्यवान बने हो दिल तख्तनशीन बनने से।”

 

2.    “जो इस समय स्वराज्य अधिकारी बनता है। स्वराज्य नहीं तो विश्व का राज्य भी नहीं क्योंकि इस समय के स्व राज्य अधिकार द्वारा ही विश्व राज्य प्राप्त होता है। विश्व के राज्य के सर्व संस्कार इस समय बनते हैं। तो हर एक अपने को सदा स्वराज्य अधिकारी अनुभव करते हो?”

 

3.    “सबसे प्यारी चीज़ सच्चाई है क्योंकि जिसमें सच्चाई होती है उसमें सफाई रहती है।”

 

4.    “जिसमें सच्चाई होगी ना, उसको बाप को याद करना बहुत सहज होगा। क्यों? बाप भी सत्य है ना! तो सत्य बाप की याद जो सत्य है उसको जल्दी आती है। मेहनत नहीं करनी पड़ती है। अगर अभी भी याद में मेहनत लगती है तो समझो कोई कोई सूक्ष्म संकल्प मात्र, स्वप्न मात्र कोई सच्चाई कम है। जहाँ सच्चाई है वहाँ संकल्प किया बाबा, हज़ूर हाज़िर है इसलिए बापदादा को सच्चाई बहुत प्रिय है।”

 

5.    “अब का स्वराज्य अधिकारी बनना, जितना जैसा बनेंगे उतना ही अधिकार प्राप्त होगा। तो चेक करोजैसे गायन है एक राज्य…, एक ही राज्य होगा, दो नहीं। तो वर्तमान स्वराज्य की स्थिति में सदा एक राज्य है? स्वराज्य है वा कभीकभी परराज्य भी हो जाता है? कभी माया का राज्य अगर है तो परराज्य कहेंगे या स्वराज्य कहेंगे? तो सदा एक राज्य है, परअधीन तो नहीं हो जाते? कभी माया का, कभी स्व का? इससे समझो कि सम्पूर्ण वर्सा अभी प्राप्त हो रहा है, हुआ नहीं है, हो रहा है। तो चेक करो सदा एक राज्य है? एक धर्मधर्म अर्थात् धारणा। तो विशेष धारणा कौन सी है? पवित्रता की। तो एक धर्म है अर्थात् संकल्प, स्वप्न में भी पवित्रता है? संकल्प में भी, स्वप्न में भी अगर अपवित्रता की परछाई है तो क्या कहेंगे? एक धर्म है? पवित्रता सम्पूर्ण है? तो चेक करो, क्यों? समय फास्ट जा रहा है। तो समय फास्ट जा रहा है और स्वयं अगर स्लो है तो समय पर मंजिल पर तो नहीं पहुंच सकेंगे ना! इसलिए बारबार चेक करो। एक राज्य है? एक धर्म है? लॉ और आर्डर है? कि माया अपना आर्डर चलाती है? परमात्म बच्चे श्रीमत के लॉ और आर्डर पर चलने वाले। माया के लॉ एण्ड आर्डर पर नहीं। तो चेक करोसभी भविष्य के संस्कार अभी दिखाई दें क्योंकि संस्कार अभी भरने हैं। वहाँ नहीं भरने हैं, यहाँ ही भरने हैं। सुख है? शान्ति है? सम्पत्तिवान हैं? सुख अभी साधनों के आधार पर तो नहीं है? अतीन्द्रिय सुख है? साधन, इन्द्रियों का आधार है। अतीन्द्रिय सुख साधनों के आधार पर नहीं है। अखण्ड शान्ति है? खण्डित तो नहीं होती है? क्योंकि सतयुग के राज्य की महिमा क्या है? अखण्ड शान्ति, अटल शान्ति। सम्पन्नता है? सम्पत्ति से क्या होता है? सम्पन्नता होती है। सर्व सम्पत्ति है? गुण, शक्तियां, ज्ञान यह सम्पत्ति है। उसकी निशानी क्या होगी? अगर मैं सम्पत्ति में सम्पन्न हूँतो उसकी निशानी क्या? सन्तुष्टता। सर्व प्राप्ति का आधार है सन्तुष्टता, असन्तुष्टता अप्राप्ति का साधन है। तो चेक करोएक भी विशेषता की कमी नहीं होनी चाहिए। तो इतना चेक करते हो? सारा संसार आप अभी के संस्कार द्वारा बनाने वाले हो। अभी के संस्कार अनुसार भविष्य का संसार बनेगा। तो आप सभी क्या कहते हो? कौन हो आप? विश्व परिवर्तक हो ना! विश्व परिवर्तक हो? तो विश्व परिवर्तक के पहले स्वपरिवर्तक। तो यह सब संस्कार अपने में चेक करो।”

 

6.    “आप कहेंगे कि हम तो नहीं चाहते कि संस्कार आवें, लेकिन जाता है, क्या करें? ऐसे सोचते हो? अच्छा। जाता है, गलती से। अगर किसको दी हुई चीज़, गलती से आपके पास जाए तो क्या करते हो? सम्भाल के अलमारी में रख देते हो? रख देंगे? तो अगर भी जाये तो दिल में नहीं रखना क्योंकि दिल में बाप बैठा है ना! तो बाप के साथ अगर वह संस्कार भी रखेंगे, तो अच्छा लगेगा? नहीं लगेगा ना! इसलिए अगर गलती से भी जाये, तो दिल से कहना बाबा, बाबा, बाबा, बस। खत्म। बिन्दी लग जायेगी। बाबा क्या है? बिन्दी। तो बिन्दी लग जायेगी। दिल से कहेंगे तो।”

 

7.    “संस्कार बदलो, तो संसार बदल जायेगा। जब तक संस्कार नहीं बदले हैं, तब तक संसार नहीं बदल सकता।”

 


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