Key Points From Daily Murli – 12th December 2024
जो विनाशकाले विपरीत बुद्धि हैं, उन्हें तुम्हारी किस बात पर हँसी आती है?
उत्तर:-
तुम जब कहते हो अभी विनाश काल नज़दीक है, तो उन्हें हँसी आती है। तुम जानते हो बाप यहाँ बैठे तो नहीं रहेंगे, बाप की ड्युटी है पावन बनाना। जब पावन बन जायेंगे तो यह पुरानी दुनिया विनाश होगी, नई आयेगी। यह लड़ाई है ही विनाश के लिए। तुम देवता बनते हो तो इस कलियुगी छी–छी सृष्टि पर आ नहीं सकते।”
1. “गीता में भी यह अक्षर हैं विनाश काले विप्रीत बुद्धि विनशन्ती, प्रीत बुद्धि विजयन्ती।”
2. “गायन भी है विनाश काले विप्रीत बुद्धि विनशन्ती। प्रीत बुद्धि विजयन्ती। फिर जितना–जितना प्रीत बुद्धि रहेंगे अर्थात् बहुत याद करेंगे, उतना तुम्हारा ही फायदा है। लड़ाई का मैदान है ना। कोई भी यह नहीं जानते हैं कि गीता में कौन–सी युद्ध बताई है। उन्होंने तो फिर कौरवों और पाण्डवों की युद्ध दिखाई है। कौरव सम्प्रदाय, पाण्डव सम्प्रदाय भी हैं परन्तु युद्ध तो कोई है नहीं। पाण्डव उनको कहा जाता है जो बाप को जानते हैं। बाप से प्रीत बुद्धि हैं। कौरव उनको कहा जाता जो बाप से विप्रीत बुद्धि हैं।”
3. “मनुष्य का तन सबसे ऊंच अमूल्य गाया गया है। इनका मूल्य कथन नहीं कर सकते। बाप आकर आत्माओं को समझाते हैं।”
4. “बाप भी कहते हैं तुमको विश्व की बादशाही मिलती है तो माया कितना आपोजीशन करती है। तुमको आगे चल पता पड़ेगा कि माया कितने अच्छे–अच्छे बच्चों को भी हप कर लेती है। एकदम खा लेती है। तुमने सर्प को देखा है – मेढक को कैसे पकड़ता है, जैसे गज को ग्राह हप करते हैं। सर्प मेढक को एकदम सारे का सारा हप कर लेता है। माया भी ऐसी है, बच्चों को जीते जी पकड़कर एकदम खत्म कर देती है जो फिर कभी बाप का नाम भी नहीं लेते हैं। योगबल की ताकत तुम्हारे में बहुत कम है। सारा मदार योगबल पर है। जैसे सर्प मेढक को हप करता है, तुम बच्चे भी सारी बादशाही को हप करते हो।”
5. “स्नेही बच्चों को बापदादा द्वारा उड़ती कला का वरदान मिल जाता है। उड़ती कला द्वारा सेकण्ड में बापदादा के पास पहुंच जाओ तो कैसे भी स्वरूप में आई हुई माया आपको छू नहीं सकेगी। परमात्म छत्रछाया के अन्दर माया की छाया भी नहीं आ सकती।”