“आत्मा ही सुनती है, पढ़ती है, आत्मा में ही संस्कार हैं। हम आत्मा भिन्न–भिन्न शरीर धारण करती हैं। बच्चों को इस निश्चय बुद्धि होने में भी बड़ी मेहनत लगती है। कहते हैं बाबा घड़ी–घड़ी भूल जाते हैं। बाप समझाते हैं Read more…
“तुम जानते हो बेहद का बाप सर्व का शिक्षक, सर्व का सद्गति दाता है। बेहद का सुख, बेहद का ज्ञान देने वाला है। फिर भी ऐसे बाप को भूल जाते हो। माया कितनी समर्थ है। ईश्वर को तो समर्थ कहते Read more…
“मीठे–मीठे रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप कहते हैं – अपनी जांच करो कि याद की यात्रा से हम तमोप्रधान से सतोप्रधान तरफ कितना आगे बढ़े हैं क्योंकि जितना–जितना याद करेंगे उतना पाप कटते जायेंगे।” “The spiritual Father says to you Read more…
“प्रश्नः–तुम बच्चों के मुख से कौन से शुभ बोल सदा निकलने चाहिए? उत्तर:-सदा मुख से यही शुभ बोल बोलो कि हम नर से नारायण बनेंगे, कम नहीं। हम ही विश्व के मालिक थे फिर से बनेंगे। लेकिन यह मंजिल ऊंची Read more…
“ पहले–पहले तो अपने को पहचानो। आत्मा है ही शान्त स्वरूप। रहने का स्थान भी शान्तिधाम है। यहाँ आती है तो कर्म जरूर करना पड़ता है। जब अपने शान्तिधाम में है तो शान्त है। सतयुग में भी शान्ति रहती है। Read more…
Avyakt Vaani Date: 31st December 2007 “विशेष समय का खजाना कभी भी व्यर्थ न जाये। एक सेकण्ड भी व्यर्थ को कार्य में लगाओ। समय को सफल करो, हर श्वांस को सफल करो, हर संकल्प को सफल करो, हर शक्ति Read more…
“प्रश्नः–रावण का श्राप कब मिलता है, श्रापित होने की निशानी क्या है? उत्तर:-जब तुम देह–अभिमानी बनते हो तब रावण का श्राप मिल जाता है। श्रापित आत्मायें कंगाल विकारी बनती जाती हैं, नीचे उतरती जाती हैं। अब बाप से वर्सा लेने Read more…
“प्रश्नः–तुम बच्चों की बुद्धि में जब ज्ञान की अच्छी धारणा हो जाती है तो कौन–सा डर निकल जाता है? उत्तर:-भक्ति में जो डर रहता कि गुरू हमें श्राप न दे देवे, यह डर ज्ञान में आने से, ज्ञान की धारणा Read more…
“मीठे–मीठे रूहानी बच्चों को ओम् का अर्थ तो सुनाया है। कोई–कोई सिर्फ ओम् कहते हैं, परन्तु कहना चाहिए ओम् शान्ति। सिर्फ ओम् का अर्थ निकलता है ओम् आत्मा। ओम् शान्ति का अर्थ है मैं आत्मा शान्त स्वरूप हूँ। हम आत्मा Read more…
“प्रश्नः– कौन–सा बल क्रिमिनल आंखों को फौरन ही बदल देता है? उत्तर:- ज्ञान के तीसरे नेत्र का बल जब आत्मा में आ जाता है तो क्रिमिनलपन समाप्त हो जाता है। बाप की श्रीमत है – बच्चे, तुम सब आपस में भाई–भाई Read more…