Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 9th December 2024

 1.     “बेहद का बाप आत्माओं को सुनाते हैं। आत्मा ही सुनती है। सब कुछ आत्मा ही करती हैइस शरीर द्वारा इसलिए पहलेपहले अपने को आत्मा जरूर समझना है।”

 

2.    “योग अर्थात् पढ़ाने वाले की याद। यह बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। तीनों रूप में पूरा याद करना पड़ता है। यह सतगुरू तुम्हें एक ही बार मिलता है। ज्ञान से सद्गति मिली, बस फिर गुरू की रस्म ही खत्म। बाप, टीचर की रस्म चलती है, गुरू की रस्म खत्म हो जाती है। सद्गति मिल गई ना।”

 

3.    “यहाँ तो शरीर से पार्ट बजाना पड़ता है। पिछाड़ी में सब पार्टधारी जायेंगे। नाटक जब पूरा होता है तो सब एक्टर्स स्टेज पर जाते हैं। अभी भी सब एक्टर्स स्टेज पर आकर इकट्ठे हुए हैं। कितना घोर घमसान है। सतयुग आदि में इतना घोर घमसान नहीं था। अभी तो कितनी अशान्ति है। तो अब जैसे बाप को सृष्टि चक्र की नॉलेज है तो बच्चों को भी नॉलेज है। बीज को नॉलेज है नाहमारा झाड़ कैसे वृद्धि को पाकर फिर खत्म होता है।”

 

4.   “तुम जानते हो बरोबर आदि सनातन देवीदेवता धर्म जब स्थापन हुआ था तो बाप ने कहा था देह के सब धर्म छोड़ अपने को आत्मा समझो और बाप को याद करो।

 

5.    “तो अब तुम सम्मुख बैठे हो, क्या करते हो? बाबा को इस भृकुटी में देखते हो। बाबा फिर तुम्हारी भृकुटी में देखते हैं। जिसमें मैं प्रवेश करता हूँ, उनको देख सकता हूँ? वह तो बाजू में बैठा है, यह बड़ी समझने की बात है। मैं इनके बाजू में बैठा हुआ हूँ। यह भी समझता है, हमारे बाजू में बैठा है। तुम कहेंगे हम सामने दो को देखते हैं। बाप और दादा दोनों आत्मा को देखते हो।”


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