Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From Daily Sakar Vaani and Avyakt Vaani – In Hindi and English

7th April 2025

1. “मीठे बच्चे – सबसे अच्छा दैवीगुण है शान्त रहना, अधिक आवाज़ में न आना, मीठा बोलना, तुम बच्चे अभी टॉकी से मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाते हो, इसलिए अधिक आवाज़ में न आओ”

2. “दैवी-गुण होते ही हैं देवताओं में क्योंकि वह पवित्र हैं। यहाँ पवित्र न होने कारण कोई में दैवीगुण हो न सकें क्योंकि आसुरी रावण राज्य है ना। नये झाड़ में दैवी गुण वाले देवतायें रहते हैं फिर झाड़ पुराना होता है। रावण राज्य में दैवीगुण वाले हो न सके। सतयुग में आदि सनातन देवी-देवताओं का प्रवृत्ति मार्ग था। प्रवृत्ति मार्ग वालों की ही महिमा गाई हुई है। सतयुग में हम पवित्र देवी-देवता थे, संन्यास मार्ग था नहीं।”

3. “एक ही दैवीगुण अच्छा है। जास्ती कोई से न बोलना, मीठा बोलना, बहुत थोड़ा बोलना चाहिए क्योंकि तुम बच्चों को टॉकी से मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाना है। तो टॉकी को बहुत कम करना चाहिए। जो बहुत थोड़ा धीरे से बोलते हैं तो समझते हैं यह रॉयल घर का है। मुख से सदैव रत्न निकलें।”

4. “ ब्रह्म तत्व है, जहाँ हम आत्मायें निवास करती हैं। उनको कहा जाता है ब्रह्माण्ड। आत्मा तो अविनाशी है। यह अविनाशी नाटक है, जिसमें सभी आत्माओं का पार्ट है। नाटक कब शुरू हुआ? यह कभी कोई बता न सके। यह अनादि ड्रामा है ना।”

5. “बाप को सिर्फ पुरानी दुनिया को नई बनाने आना पड़ता है। ऐसे नहीं कि बाप नई सृष्टि रचते हैं। जब पतित होते हैं तब ही पुकारते हैं, सतयुग में कोई पुकारते नहीं। है ही पावन दुनिया। रावण पतित बनाते हैं, परमपिता परमात्मा आकर पावन बनाते हैं। आधा-आधा जरूर कहेंगे। ब्रह्मा का दिन और ब्रह्मा की रात आधा-आधा है। ज्ञान से दिन होता है, वहाँ अज्ञान है नहीं। भक्ति मार्ग को अन्धियारा मार्ग कहा जाता है। देवतायें पुनर्जन्म लेते-लेते फिर अन्धियारे में आते हैं इसलिए इस सीढ़ी में दिखाया है – मनुष्य कैसे सतो, रजो, तमो में आते हैं। अभी सबकी जड़जड़ीभूत अवस्था है। बाप आते हैं ट्रांसफर करने अर्थात् मनुष्य को देवता बनाने। जब देवता थे तो आसुरी गुण वाले मनुष्य नहीं थे।”

6. “हम अभी परमात्मा द्वारा पढ़ रहे हैं। हमको कोई मनुष्य नहीं पढ़ाते हैं। ज्ञान का सागर एक ही परमपिता परमात्मा है। तुम सब भक्ति के सागर हो। भक्ति की अथॉरिटी हो, न कि ज्ञान की। ज्ञान की अथॉरिटी एक मैं ही हूँ। महिमा भी एक की करते हैं। वही ऊंच ते ऊंच है। हम उनको ही मानते हैं।”

7. “रचना का क्रियेटर एक ही बाप है। वह कहते हैं देही-अभिमानी बन मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से विकर्म विनाश होंगे। यह योग बाप अभी ही सिखलाते हैं जबकि पुरानी दुनिया बदल रही है। विनाश सामने खड़ा है। अभी हम देवता बन रहे हैं।”

8. “बाप के सामने भल सुनते हैं परन्तु एकरस हो नहीं सुनते। बुद्धि और और तरफ भागती रहती है। भक्ति में भी ऐसे होता है। सारा दिन तो वेस्ट जाता है बाकी जो टाइम मुकरर करते हैं, उसमें भी बुद्धि कहाँ-कहाँ चली जाती है। सबका ऐसा हाल होता होगा। माया है ना!”

9. “कोई-कोई बच्चे बाप के सामने बैठे ध्यान में चले जाते हैं, यह भी टाइम वेस्ट हुआ ना। कमाई तो नहीं हुई। बाप तो कहते हैं याद में रहो, जिससे विकर्म विनाश हों। ध्यान में जाने से बुद्धि में बाप की याद नहीं रहती है। इन सब बातों में बहुत घोटाला है। तुमको तो आंखे बन्द भी नहीं करनी है। याद में बैठना है ना। आंखें खोलने से डरना नहीं चाहिए। आंखे खुली हों। बुद्धि में माशुक ही याद हो। आंखे बन्द करके बैठना, यह कायदा नहीं। बाप कहते हैं याद में बैठो। ऐसे थोड़ेही कहते हैं आंखे बन्द करो। आंख बन्द कर, कांध ऐसे नीचे कर बैठेंगे तो बाबा कैसे देखेंगे। आंखे कभी बन्द नहीं करनी चाहिए। आंखे बन्द हो जाती है तो कुछ दाल में काला होगा, और कोई को याद करते होंगे। बाप तो कहते हैं और कोई मित्र-सम्बन्धियों आदि को याद किया तो तुम सच्चे आशिक नहीं ठहरे। सच्चा आशिक बनेंगे तब ही ऊंच पद पायेंगे। मेहनत सारी याद में है।”

10. “देह-अभिमान में बाप को भूलते हैं, फिर धक्के खाते रहते हैं और बहुत मीठा भी बनना चाहिए। वातावरण भी मीठा हो, कोई आवाज़ नहीं। कोई भी आये तो देखे – बात कितनी मीठी करते हैं। बहुत साइलेन्स होनी चाहिए। कुछ भी लड़ना-झगड़ना नहीं। नहीं तो जैसे बाप, टीचर, गुरू तीनों की निंदा कराते हैं।”

11. “किसी से भी बहुत नम्रता और धीरे से बातचीत करनी है। बोलचाल बहुत मीठा हो। साइलेन्स का वातावरण हो। कोई भी आवाज़ न हो तब सर्विस की सफलता होगी।”

12. “जैसे बाप का भण्डारा सदा चलता रहता है, रोज़ देते हैं ऐसे आपका भी अखण्ड लंगर चलता रहे क्योंकि आपके पास ज्ञान का, शक्तियों का, खुशियों का भरपूर भण्डारा है। इसे साथ में रखने वा यूज़ करने में कोई भी खतरा नहीं है। यह भण्डारा खुला होगा तो चोर नहीं आयेगा। बंद रखेंगे तो चोर आ जायेंगे। इसलिए रोज़ अपने मिले हुए खजानों को देखो और स्व के प्रति और औरों के प्रति यूज करो तो अखण्ड महादानी बन जायेंगे।”

13. “सुने हुए को मनन करो, मनन करने से ही शक्तिशाली बनेंगे।”

Link to the original video:

https://youtu.be/wwedcGq_6uY

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