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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 4th March 2025

मीठे बच्चेजिन्होंने शुरू से भक्ति की है, 84 जन्म लिए हैं, वह तुम्हारे ज्ञान को बड़ी रूचि से सुनेंगे, इशारे से समझ जायेंगे

 

“प्रश्नः
देवीदेवता घराने के नजदीक वाली आत्मा है या दूर वाली, उसकी परख क्या होगी?

उत्तर:-
जो तुम्हारे देवता घराने की आत्मायें होंगी, उन्हें ज्ञान की सब बातें सुनते ही जंच जायेंगी, वह मूझेंगे नहीं। जितना बहुत भक्ति की होगी उतना जास्ती सुनने की कोशिश करेंगे। तो बच्चों को नब्ज देखकर सेवा करनी चाहिए।”

 

1.     “यह भी तुम जानते हो 84 जन्म कोई सब तो नहीं लेते होंगे। यह कैसे पता पड़े यह 84 जन्म लेने वाला है या 10 जन्म लेने वाला है वा 20 जन्म लेने वाला है? अब तुम बच्चे यह तो समझते हो कि जिसने बहुत भक्ति की होगी शुरू से लेकर, तो उनको फल भी इतना ही जल्दी और अच्छा मिलेगा। थोड़ी भक्ति की होगी और देरी से की होगी तो फल भी इतना थोड़ा और देरी से मिलेगा। यह बाबा सर्विस करने वाले बच्चों के लिए समझाते हैं। बोलो, तुम भारतवासी हो तो बताओ देवीदेवताओं को मानते हो? भारत में इन लक्ष्मीनारायण का राज्य था ना। जो 84 जन्म लेने वाला होगा, शुरू से भक्ति की होगी वह झट समझ जायेगाबरोबर आदि सनातन देवीदेवता धर्म था, रूचि से सुनने लग पड़ेंगे। कोई तो ऐसे ही देखकर चले जाते हैं, कुछ पूछते भी नहीं जैसे कि बुद्धि में बैठता नहीं। तो उनके लिए समझना चाहिए यह अभी तक यहाँ का नहीं है। आगे चल समझ भी लेवें। कोई का समझाने से झट कांध हिलेगा। बरोबर इस हिसाब से तो 84 जन्म ठीक हैं। अगर कहते हैं हम कैसे समझें कि पूरे 84 जन्म लिए हैं? अच्छा, 84 नहीं तो 82, देवता धर्म में तो आये होंगे। देखो इतना बुद्धि में जंचता नहीं है तो समझो यह 84 जन्म लेने वाला नहीं है। दूर वाले कम सुनेंगे। जितना बहुत भक्ति की हुई होगी वह जास्ती सुनने की कोशिश करेंगे। झट समझ जायेंगे। कम समझता है तो समझो यह देरी से आने वाला है। भक्ति भी देरी से की होगी। बहुत भक्ति करने वाला इशारे से समझ जायेगा। ड्रामा रिपीट तो होता है ना। सारा भक्ति पर मदार है। इस (बाबा) ने सबसे नम्बरवन भक्ति की है ना। कम भक्ति की होगी तो फल भी कम मिलेगा। यह सब समझने की बातें हैं। मोटी बुद्धि वाले धारणा कर नहीं सकेंगे।”

 

2.    “अभी तुम बच्चे समझते हो तुमको सुखशान्ति दोनों मिलते हैं, जहाँ शान्ति है वहाँ सुख है। जहाँ अशान्ति है, वहाँ दु: है। सतयुग में सुखशान्ति है, यहाँ दु:अशान्ति है।”

 

3.    “तुमको माया रावण ने कितना तुच्छ बुद्धि बनाया है, यह भी ड्रामा बना हुआ है। बाप कहते हैं मैं भी ड्रामा के बन्धन में बांधा हुआ हूँ। मेरा पार्ट ही अभी है जो बजा रहा हूँ। कहते भी हैं बाबा कल्पकल्प आप ही आकर भ्रष्टाचारी पतित से श्रेष्ठाचारी पावन बनाते हो। भ्रष्टाचारी बने हो रावण द्वारा। अब बाप आकर मनुष्य से देवता बनाते हैं।”

 

4.    “अभी बाप आकर यह सब बातें समझाते हैं। बीज और झाड़ का राज़ समझाते हैं। ऐसे झाड़ और कोई बना सके। यह कोई इसने नहीं बनाया है। इनका कोई गुरू नहीं था। अगर होता तो उनके और भी शिष्य होते ना। मनुष्य समझते हैं इनको कोई गुरू ने सिखाया है या तो कहते परमात्मा की शक्ति प्रवेश करती है। अरे, परमात्मा की शक्ति कैसे प्रवेश करेगी! बिचारे कुछ भी नहीं जानते। बाप खुद बैठ बताते हैं मैंने कहा था मैं साधारण बूढ़े तन में आता हूँ, आकर तुमको पढ़ाता हूँ। यह भी सुनते हैं, अटेन्शन तो हमारे ऊपर है। यह भी स्टूडेन्ट है। यह अपने को और कुछ नहीं कहते। प्रजापिता सो भी स्टूडेन्ट है। भल इसने विनाश भी देखा परन्तु समझा कुछ भी नहीं। आहिस्तेआहिस्ते समझते गये। जैसे तुम समझते जाते हो। बाप तुमको समझाते हैं, बीच में यह भी समझते जाते हैं, पढ़ते रहते हैं। हर एक स्टूडेन्ट पुरूषार्थ करेंगे पढ़ने का।”

 

5.    “ब्रह्माविष्णुशंकर तो हैं सूक्ष्मवतनवासी। उन्हों का क्या पार्ट है, यह भी कोई नहीं जानते। बाप हर एक बात आपेही समझाते हैं। तुम प्रश्न कोई पूछ नहीं सकते। ऊपर में है शिव परमात्मा फिर देवतायें, उनको मिला कैसे सकते। अभी तुम बच्चे जानते हो बाप इसमें आकर प्रवेश करते हैं इसलिए कहा जाता है बापदादा। बाप अलग है, दादा अलग है। बाप शिव, दादा ब्रह्मा है। वर्सा शिव से मिलता है इन द्वारा। ब्राह्मण हो गये ब्रह्मा के बच्चे। बाप ने एडाप्ट किया है ड्रामा के प्लैन अनुसार। बाप कहते हैं नम्बरवन भक्त यह है। 84 जन्म भी इसने लिए हैं। सांवरा और गोरा भी इनको कहते हैं। श्रीकृष्ण सतयुग में गोरा था, कलियुग में सांवरा है। पतित है ना फिर पावन बनते हैं। तुम भी ऐसे बनते हो। यह है आइरन एजेड वर्ल्ड, वह है गोल्डन एजेड वर्ल्ड। सीढ़ी का किसको पता नहीं है, जो पीछे आते हैं वह 84 जन्म थोड़ेही लेते होंगे। वह जरूर कम जन्म लेंगे फिर उनको सीढ़ी में दिखा कैसे सकते। बाबा ने समझाया हैसबसे जास्ती जन्म कौन लेंगे? सबसे कम जन्म कौन लेंगे? यह है नॉलेज। बाप ही नॉलेजफुल, पतितपावन है। आदिमध्यअन्त की नॉलेज सुना रहे हैं। वह सब नेतीनेती करते आये हैं। अपनी आत्मा को ही नहीं जानते तो बाप को फिर कैसे जानेंगे? सिर्फ कहने मात्र कह देते हैं, आत्मा क्या चीज़ है, कुछ भी नहीं जानते। तुम अभी जानते हो आत्मा अविनाशी है, उसमें 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट नूँधा हुआ है। इतनी छोटी सी आत्मा में कितना पार्ट नूँधा हुआ है, जो अच्छी रीति सुनते और समझते हैं तो समझा जाता है यह नजदीक वाला है। बुद्धि में नहीं बैठता है तो देरी से आने वाला होगा। सुनाने के समय नब्ज देखी जाती है। समझाने वाले भी नम्बरवार हैं ना। तुम्हारी यह पढ़ाई है, राजधानी स्थापन हो रही है। कोई तो ऊंच से ऊंच राजाई पद पाते हैं, कोई तो प्रजा में नौकर चाकर बनते हैं। बाकी हाँ, इतना है कि सतयुग में कोई दु: नहीं होता। उनको कहा ही जाता है सुखधाम, बहिश्त। पास्ट हो गया है तब तो याद करते हैं ना।”

 

6.    “तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, तुम सबसे पहले तो बाप की बॉयोग्राफी को जान गये तो और क्या चाहिए। बाप को जानने से ही सब कुछ समझ में जाता है। तो खुशी होनी चाहिए।”

 

7.     “मुख्य बात ही है पतित से पावन बनने लिए बुद्धियोग लगाना है। पावन बनने की प्रतिज्ञा कर फिर अगर पतित बनते हैं तो हडगुड एकदम टूट पड़ती हैं, जैसेकि 5 मंजिल से गिरते हैं। बुद्धि ही मलेच्छ की हो जायेगी, दिल अन्दर खाता रहेगा। मुख से कुछ निकलेगा नहीं इसलिए बाप कहते हैं खबरदार रहो।”

 

8.    “जब भी कोई असत्य बात देखते हो, सुनते हो तो असत्य वायुमण्डल नहीं फैलाओ। कई कहते हैं यह पाप कर्म है ना, पाप कर्म देखा नहीं जाता लेकिन वायुमण्डल में असत्यता की बातें फैलाना, यह भी तो पाप है। लौकिक परिवार में भी अगर कोई ऐसी बात देखी वा सुनी जाती है तो उसे फैलाया नहीं जाता। कान में सुना और दिल में छिपाया। यदि कोई व्यर्थ बातों का फैलाव करता है तो यह छोटेछोटे पाप उड़ती कला के अनुभव को समाप्त कर देते हैं, इसलिए इस कर्मो की गहन गति को समझकर यथार्थ रूप में सत्यता की शक्ति धारण करो।”

 


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