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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 3rd January 2025

 1.     “तुम्हारे तीर्थ हैंघर में बैठ चुपके से मुक्तिधाम पहुँचना। दुनिया के तीर्थ तो कॉमन हैं, तुम्हारे हैं न्यारे। मनुष्यों का बुद्धियोग तो साधूसन्तों आदि तरफ बहुत ही भटकता रहता है। तुम बच्चों को तो सिर्फ बाप को ही याद करने का डायरेक्शन मिलता है। वह है निराकार बाप। ऐसे नहीं कि निराकार को मानने वाले निराकारी मत के ठहरे। दुनिया में मतमतान्तर तो बहुत हैं ना। यह एक निराकारी मत निराकार बाप देते हैं, जिससे मनुष्य ऊंच ते ऊंच पद जीवनमुक्ति वा मुक्ति पाते हैं।”

 

2.    “कोई का योग है तो फिर ज्ञान नहीं, धारणा नहीं होती। सर्विस करने वाले बच्चों को ज्ञान की धारणा अच्छी हो सकती है। बाप आकर मनुष्य को देवता बनाने की सेवा करे और बच्चे कोई सेवा करें तो वह क्या काम के? वह दिल पर चढ़ कैसे सकते? बाप कहते हैंड्रामा में मेरा पार्ट ही है रावण राज्य से सबको छुड़ाना।”

 

3.    “बाबा कहते हैं चार्ट रखकर देखोसारे दिन में हम कितना टाइम याद में रहते हैं? सारा दिन ऑफिस में काम करते याद में रहना है। कर्म तो करना ही है। यहाँ योग में बिठाकर कहते हैं बाप को याद करो। उस समय कर्म तो करते नहीं हो। तुमको तो कर्म करते याद करना है। नहीं तो बैठने की आदत पड़ जाती है। कर्म करते याद में रहेंगे तब कर्मयोगी सिद्ध होंगे। पार्ट तो जरूर बजाना है, इसमें ही माया विघ्न डालती है। सच्चाई से चार्ट भी कोई लिखते नहीं हैं। कोईकोई लिखते हैं, आधा घण्टा, पौना घण्टा याद में रहे। सो भी सवेरे ही याद में बैठते होंगे। भक्ति मार्ग में भी सवेरे उठकर राम की माला बैठ जपते हैं। ऐसे भी नहीं, उस समय एक ही धुन में रहते हैं। नहीं, और भी बहुत संकल्प आते रहेंगे। तीव्र भक्तों की बुद्धि कुछ ठहरती है।”

 

4.    “तो इस पढ़ाई पर बहुत अटेन्शन देना चाहिए। सर्विस का ओना (फिकर) रहना चाहिए। हम अपने गांव में जाकर सर्विस करें। बहुतों का कल्याण हो जायेगा। बाबा जानते हैंसर्विस का शौक अजुन कोई में है नहीं। लक्षण भी तो अच्छे चाहिए ना। ऐसे नहीं कि डिससर्विस कर और ही यज्ञ का भी नाम बदनाम करें और अपना ही नुकसान कर दें। बाबा तो हर बात के लिए अच्छी रीति समझाते हैं।”

 

5.    “ड्रामा में साक्षी हो पार्ट देखना होता है। ऊंच पद पाने वाले बहुत कम होते हैं। हो सकता है ग्रहचारी उतर जाए। ग्रहचारी उतरती है तो फिर जम्प कर लेते हैं। पुरूषार्थ कर अपना जीवन बनाना चाहिए, नहीं तो कल्पकल्पान्तर के लिए सत्यानाश हो जायेगी। समझेंगे कल्प पहले मुआफिक ग्रहचारी आई है। श्रीमत पर नहीं चलेंगे तो पद भी नहीं मिलेगा। ऊंच ते ऊंच है भगवान की श्रीमत।”

 

6.    “कर्म करते याद में रहने की आदत डालनी है। सर्विस की सफलता के लिए अपनी अवस्था देहीअभिमानी बनानी है। दिल साफ रखनी है।”

 

7.     “जो सदा ज्ञान का सिमरण करते हैं वे माया की आकर्षण से बच जाते हैं।”

 

8.    “अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो, अपने डबल लाइट फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो, साक्षी बन सब पार्ट देखते सकाश अर्थात् सहयोग दो क्योंकि आप सर्व के कल्याण के निमित्त हो। यह सकाश देना ही निभाना है, लेकिन ऊंची स्टेज पर स्थित होकर सकाश दो। वाणी की सेवा के साथसाथ मन्सा शुभ भावनाओं की वृत्ति द्वारा सकाश देने की सेवा करो।”

 

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