Key Points From Daily Murli – 3rd December 2024
2. “अब शान्तिधाम तो है घर। जहाँ से आत्मायें पार्ट बजाने आती हैं। वहाँ सिर्फ आत्मायें ही हैं शरीर नहीं है। आत्मायें नंगी अर्थात् शरीर बिगर रहती हैं। नंगे का अर्थ यह नहीं कि कपड़े पहनने बिगर रहना। नहीं, शरीर बिगर आत्मायें नंगी (अशरीरी) रहती हैं। बाप कहते हैं – बच्चे, तुम आत्मायें वहाँ मूलवतन में बिगर शरीर रहती हो, उसे निराकारी दुनिया कहा जाता है।”
3. “तुम अभी समझते हो कलियुग पूरा हो अभी सतयुग आयेगा इसलिए तुम आये हो बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने। तुम सब स्वर्गवासी थे। बाप आते ही हैं स्वर्ग स्थापन करने। तुम ही स्वर्ग में आते हो, बाकी सब शान्तिधाम घर चले जाते हैं। वह है स्वीट होम, आत्मायें वहाँ निवास करती हैं। फिर यहाँ आकर पार्टधारी बनते हैं।”
4. “तुम यहाँ आये ही हो मनुष्य से देवता बनने के लिए। देवताओं का खान–पान अशुद्ध नहीं होता, वे कभी बीड़ी आदि पीते नहीं।”
5. “बहुत हैं जो यहाँ आकर सुनकर फिर माया के वश हो जाते हैं। पुण्य आत्मा बनते–बनते पाप आत्मा बन पड़ते हैं। माया बड़ी जबरदस्त है। सबको पाप आत्मा बना देती है। यहाँ कोई भी पवित्र आत्मा, पुण्य आत्मा है नहीं। पवित्र आत्मायें देवी–देवता ही थे, जब सभी पतित बन जाते हैं तब बाप को बुलाते हैं। अभी यह है रावण राज्य पतित दुनिया, इनको कहा जाता है कांटों का जंगल। सतयुग को कहा जाता है गार्डन ऑफ फ्लावर्स।”
6. “गणेश को विघ्न विनाशक कहते हैं। विघ्न विनाशक वही बनते जिनमें सर्व शक्तियां हैं। सर्वशक्तियों को समय प्रमाण कार्य में लगाओ तो विघ्न ठहर नहीं सकते। कितने भी रूप से माया आये लेकिन आप नॉलेजफुल बनो। नॉलेजफुल आत्मा कभी माया से हार खा नहीं सकती। जब मस्तक पर बापदादा की दुआओं का हाथ है तो विजय का तिलक लगा हुआ है। परमात्म हाथ और साथ विघ्न–विनाशक बना देता है।”