Key Points From Daily Murli – 30th October 2024
“प्रश्नः–
बाप जो समझाते हैं उसे कोई सहज मान लेते, कोई मुश्किल समझते – इसका कारण क्या है?
उत्तर:-
जिन बच्चों ने बहुत समय भक्ति की है, आधाकल्प से पुराने भक्त हैं, वह बाप की हर बात को सहज मान लेते हैं क्योंकि उन्हें भक्ति का फल मिलता है। जो पुराने भक्त नहीं उन्हें हर बात समझने में मुश्किल लगता। दूसरे धर्म वाले तो इस ज्ञान को समझ भी नहीं सकते।”
- “सब आत्माओं का बाप एक है। सबको बाप से वर्सा लेने का हक है। तुम हो भाई–भाई, भल शरीर स्त्री–पुरुष का है।”
- “बाप सिर्फ कहते हैं – मीठे–मीठे लाडले बच्चों, मुझे याद करो। तुम्हारी आत्मा जो सतोप्रधान से तमोप्रधान बनी है, खाद पड़ी है ना, वह योग अग्नि से ही निकलेगी। सोनार लोग जानते हैं, बाप को ही पतित–पावन कहते हैं। बाप सुप्रीम सोनार ठहरा। सबकी खाद निकाल सच्चा सोना बना देते हैं। सोना अग्नि में डाला जाता है। यह है योग अर्थात् याद की अग्नि क्योंकि याद से ही पाप भस्म होते हैं। तमोप्रधान से सतोप्रधान याद की यात्रा से ही बनना है। सब तो सतोप्रधान नहीं बनेंगे। कल्प पहले मिसल ही पुरूषार्थ करेंगे।”
- “परम आत्मा का भी ड्रामा में पार्ट नूँधा हुआ है, जो नूँध है वह होता रहता है। बदल नहीं सकता। रील फिरता ही रहता है।”
- “वह है सब आत्माओं का बाप। उनको याद करना है। मनमनाभव का भी अर्थ यह है।””ज्ञान सागर बाप तुम्हें ज्ञान तो इतना देते हैं जो सागर को स्याही बनाओ, सारा जंगल कलम बनाओ तो भी अन्त नहीं हो सकता।”
- “कोई–कोई प्रश्न पूछते हैं – देवतायें गिरते क्यों हैं? अरे, यह चक्र फिरता रहता है। पुनर्जन्म लेते–लेते नीचे तो उतरेंगे ना! चक्र तो फिरना ही है।”