Key Points From Daily Murli – 2nd January 2025
1. “फाइनल तो होना है सतयुग में। वहाँ घर–घर में रोशनी ही रोशनी होगी अर्थात् हर आत्मा की ज्योत जगी रहती है। यहाँ तो अन्धियारा है। आत्मायें आसुरी बुद्धि बन पड़ी है। वहाँ आत्मायें पवित्र होने से दैवी बुद्धि रहती हैं। आत्मा ही पतित, आत्मा ही पावन बनती है। अभी तुम वर्थ नाट ए पेनी से पाउण्ड बन रहे हो। आत्मा पवित्र होने से शरीर भी पवित्र मिलेगा। यहाँ आत्मा अपवित्र है तो शरीर और दुनिया भी इमप्योर है। इन बातों को तुम्हारे में से कोई थोड़े हैं जो यथार्थ रीति समझते हैं और उनके अन्दर खुशी होती है। नम्बरवार पुरूषार्थ तो करते रहते हैं।”
2. “फट से किसी का नुक्स निकाल देना – यह भी दु:ख देना है।”
3. “अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो। जैसे ऊंची टावर से सकाश देते हैं, लाइट माइट फैलाते हैं। ऐसे आप बच्चे भी अपनी ऊंची स्थिति अथवा ऊंचे स्थान पर बैठ कम से कम 4 घण्टे विश्व को लाइट और माइट दो। जैसे सूर्य भी विश्व में रोशनी तब दे सकता है जब ऊंचा है। तो साकार सृष्टि को सकाश देने के लिए ऊंचे स्थान निवासी बनो।”