Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 28th February 2025

 1.     “ओम् का अर्थ ही है अहम्, मैं आत्मा। मनुष्य फिर समझते ओम् माना भगवान, परन्तु ऐसे है नहीं। ओम् माना मैं आत्मा, मेरा यह शरीर है। कहते हैं नाओम् शान्ति। अहम् आत्मा का स्वधर्म है शान्त। आत्मा अपना परिचय देती है। मनुष्य भल ओम् शान्ति कहते हैं परन्तु ओम् का अर्थ कोई भी नहीं समझते हैं। ओम् शान्ति अक्षर अच्छा है। हम आत्मा हैं, हमारा स्वधर्म शान्त है। हम आत्मा शान्तिधाम की रहने वाली हैं। कितना सिम्पुल अर्थ है।”

 

2.    “नई दुनिया स्वर्ग को कहा जाता है। देवताओं को कहेंगे स्वर्गवासी। अभी तो है पुरानी दुनिया नर्क। यहाँ मनुष्य हैं नर्कवासी। कोई मरता है तो भी कहते हैं स्वर्गवासी हुआ तो गोया यहाँ नर्कवासी है ना।”

 

3.    “बाप कहते हैंबच्चे, तुम आत्मायें शान्तिधाम से आती हो पार्ट बजाने। इस दु:खधाम में सभी दु:खी हैं इसलिए कहते हैं मन को शान्ति कैसे हो? ऐसे नहीं कहतेआत्मा को शान्ति कैसे हो? अरे तुम कहते हो ना ओम् शान्ति। मेरा स्वधर्म है शान्ति। फिर शान्ति मांगते क्यों हो? अपने को आत्मा भूल देहअभिमान में जाते हो। आत्मायें तो शान्तिधाम की रहने वाली हैं। यहाँ फिर शान्ति कहाँ से मिलेगी? अशरीरी होने से ही शान्ति होगी। शरीर के साथ आत्मा है, तो उनको बोलना चलना तो जरूर पड़ता है। हम आत्मा शान्तिधाम से यहाँ पार्ट बजाने आई हैं।”

 

4.    “तुम बच्चे अभी दैवीगुण धारण करते हो। तुम जानते हो अभी 5 तत्व भी तमोप्रधान हैं।”

 

5.    “यह लक्ष्मीनारायण विश्व के मालिक थे ना। यह कभी राज्य करते थे, यह भी किसको पता थोड़ेही है। आज से 5 हज़ार वर्ष पहले इन्हों का राज्य था। फिर यह कहाँ गये। तुम बता सकते हो 84 जन्म भोगे। अभी तमोप्रधान हैं फिर बाप द्वारा सतोप्रधान बन रहे हैं, ततत्वम्। यह नॉलेज सिवाए बाप के साधूसन्त आदि कोई भी दे सके।”

 

6.    “संगमयुग पर सभी बच्चों को दिव्य बुद्धि की लिफ्ट मिलती है। इस वन्डरफुल लिफ्ट द्वारा तीनों लोकों में जहाँ चाहो वहाँ पहुंच सकते हो। सिर्फ स्मृति का स्विच आन करो तो सेकण्ड में पहुच जायेंगे और जितना समय जिस लोक का अनुभव करना चाहो उतना समय वहाँ स्थित रह सकते हो। इस लिफ्ट को यूज करने के लिए अमृतवेले केयरफुल बन स्मृति के स्विच को यथार्थ रीति से सेट करो। अथॉरिटी होकर इस लिफ्ट को कार्य में लगाओ तो सहजयोगी बन जायेंगे। मेहनत समाप्त हो जायेगी।”


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×