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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 25th November 2024

 1.     “अशान्त होना यह भी अवगुण है। अवगुण को निकालना है।”

 

2.    “शान्ति से ही याद कर सकते हैं। अशान्ति वाले याद कर सकें।”

 

3.    “कर्मेन्द्रियों पर विजय पानी है।”

 

4.    “यहाँ कोई अशान्त रहते हैं तो शान्ति फैलाने के निमित्त नहीं बन सकते।”

 

5.    “कोई ने कुछ कहा तो भी सुनाअनसुना कर अपनी मस्ती में मस्त रहना चाहिए। कोई भी बीमारी वा दु: आदि है तो तुम सिर्फ याद में रहो।”

 

6.    “अभी बच्चों को मालूम पड़ता हैरावणराज्य में हम कितना छीछी बने हैं। आहिस्तेआहिस्ते नीचे उतरते आये हैं। यह है ही विषय सागर। अब बाप इस विष के सागर से निकाल तुमको क्षीरसागर में ले जाते हैं। बच्चों को यहाँ मीठा बहुत लगता है फिर भूल जाने से क्या अवस्था हो जाती है। बाप कितना खुशी का पारा चढ़ाते हैं। इस ज्ञान अमृत का ही गायन है। ज्ञान अमृत का गिलास पीते रहना है। यहाँ तुमको बहुत अच्छा नशा चढ़ता है फिर बाहर जाने से वह नशा कम हो जाता है। बाबा खुद फील करते हैं, यहाँ बच्चों को अच्छी फीलिंग आती हैहम अपने घर जाते हैं, हम बाबा की श्रीमत पर राजधानी स्थापन कर रहे हैं। हम बड़े वारियर्स हैं। यह सब बुद्धि में नॉलेज है, जिससे तुम इतना पद पाते हो।”

 

7.     “तुम्हारा दैवी कैरेक्टर बन रहा है। 5 विकारों से आसुरी कैरेक्टर हो जाता है। कितनी चेंज होती है। तो चेन्ज में आना चाहिए ना। शरीर छूट जाए फिर थोड़ेही चेन्ज हो सकेगी।”

 

8.    “पहले से ही आवाज़ है, यह सबको भाईबहन बना देते हैं। अरे, भाईबहन का सम्बन्ध तो अच्छा है ना। तुम आत्मायें तो भाईभाई हो। परन्तु फिर भी जन्मजन्मान्तर की दृष्टि जो पक्की हुई है, वह टूटती नहीं है। बाबा पास तो बहुत समाचार आते हैं। बाप समझाते हैं इस छीछी दुनिया से तुम बच्चों की दिल हट जाना चाहिए। गुलगुल बनना चाहिए। कितने ज्ञान सुनकर भी भूल जाते हैं। सारा ज्ञान उड़ जाता है।”

 

9.    “काम महाशत्रु है ना। बाबा तो बहुत अनुभवी है। इस विकार के पिछाड़ी राजाओं ने अपनी राजाई गँवाई है। काम बहुत खराब है। सब कहते भी हैं बाबा यह बहुत कड़ा दुश्मन है। बाप कहते हैं काम को जीतने से तुम विश्व का मालिक बनेंगे। परन्तु काम विकार ऐसा कड़ा है जो प्रतिज्ञा करके फिर गिर पड़ते हैं। बहुत मुश्किल से कोई सुधरते हैं।”

 

10. “उठते, बैठते, चलते ज्ञान का सिमरण कर मोती चुगने वाला हंस बनना है। सबसे गुण ग्रहण करने हैं। एकदूसरे में गुण ही फूंकने हैं।”


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