Key Points From Daily Murli – 22nd October 2024
- “मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूल वतन – यह है सारी युनिवर्स। खेल कोई सूक्ष्मवतन वा मूलवतन में नहीं चलता है, नाटक यहाँ ही चलता है।”
- “आत्माओं के बाप को बाबा कहेंगे। दूसरा कोई नाम होता नहीं। बाबा का नाम है शिव।”
- “अपवित्र सदैव पवित्र को पूजते हैं।”
- “आत्मा में जो शक्ति रहती है वह फिर आहिस्ते–आहिस्ते डिग्रेड होती जाती है अर्थात् आत्मा में जो सतोप्रधान शक्ति थी वह तमोप्रधान शक्ति हो जाती है। जैसे मोटर का तेल खलास होने से मोटर खड़ी हो जाती है। यह बैटरी घड़ी–घड़ी डिस्चार्ज नहीं होती है, इनको पूरा टाइम मिला हुआ है। कलियुग अन्त में बैटरी ठण्डी हो जाती है। पहले जो सतोप्रधान विश्व के मालिक थे, अभी तमोप्रधान हैं तो ताकत कम हो गई है। शक्ति नहीं रही है। वर्थ नाट पेनी बन जाते हैं। यह 5 विकार रूपी रावण तुम्हारी सारी ताकत छीन लेते है।”
- “सुप्रीम की पढ़ाई से आत्मा सुप्रीम बनती है। सुप्रीम पवित्र को कहा जाता है।”
- “प्रवृत्ति में रहते पवित्रता के स्वधर्म को अपना लिया तो पवित्र आत्मा विशेष आत्मा बन गये।”