Waah Drama Waah! Waah Baba Waah!

Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 19th November 2024

 1.     “मीठेमीठे सिकीलधे बच्चों से रूहानी बाप पूछते हैं यहाँ तुम बैठे हो, किसकी याद में बैठे हो? (बाप, शिक्षक, सतगुरू की) सभी इन तीनों की याद में बैठे हो? हर एक अपने से पूछे यह सिर्फ यहाँ बैठे याद है या चलतेफिरते याद रहती है? क्योंकि यह है वन्डरफुल बात। और कोई आत्मा को कभी ऐसे नहीं कहा जाता। भल यह लक्ष्मीनारायण विश्व के मालिक हैं परन्तु उनकी आत्मा को कभी ऐसे नहीं कहेंगे कि यह बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। बल्कि सारी दुनिया में जो भी जीव आत्मायें है, कोई भी आत्मा को ऐसे नहीं कहेंगे। तुम बच्चे ही ऐसे याद करते हो। अन्दर में आता है यह बाबा, बाबा भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। सो भी सुप्रीम। तीनों को याद करते हो या एक को? भल वह एक है परन्तु तीनों गुणों से याद करते हो। शिवबाबा हमारा बाप भी है, टीचर और सतगुरू भी है। यह एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी कहा जाता है। जब बैठे हो अथवा चलते फिरते हो तो यह याद रहना चाहिए। बाबा पूछते हैं ऐसे याद करते हो कि यह हमारा बाप, टीचर, सतगुरू भी है। ऐसा कोई भी देहधारी हो नहीं सकता। देहधारी नम्बरवन है श्रीकृष्ण, उनको बाप, टीचर, सतगुरू कह नहीं सकते, यह बिल्कुल वन्डरफुल बात है। तो सच बताना चाहिए तीनों रूप में याद करते हो? भोजन पर बैठते हो तो सिर्फ शिवबाबा को याद करते हो या तीनों बुद्धि में आते हैं? और तो कोई भी आत्मा को ऐसे नहीं कह सकते। यह है वन्डरफुल बात। विचित्र महिमा है बाप की। तो बाप को याद भी ऐसे करना है। तो बुद्धि एकदम उस तरफ चली जायेगी जो ऐसा वन्डरफुल है।”

 

2.    “अभी तुम बच्चे नास्तिक से आस्तिक बन रहे हो। तुम बेहद के बाप को जानते हो जो तुमको इतना ऊंच बनाते हैं। पुकारते भी हैं गॉड फादर, लिबरेट करो। बाप समझाते हैं, इस समय रावण का सारे विश्व पर राज्य है। सब भ्रष्टाचारी हैं फिर श्रेष्ठाचारी भी होंगे ना। तुम बच्चों की बुद्धि में हैपहलेपहले पवित्र दुनिया थी। बाप अपवित्र दुनिया थोड़ेही बनायेंगे। बाप तो आकर पावन दुनिया स्थापन करते हैं, जिसको शिवालय कहा जाता है।”

 

3.    “बहुत देहअभिमानी बच्चे हैं जो समझते हैं हम तो सब कुछ जान गये हैं। मुरली भी नहीं पढ़ते हैं। कदर ही नहीं है। बाबा ताकीद करते हैं, कोईकोई समय मुरली बहुत अच्छी चलती है। मिस नहीं करना चाहिए। 10-15 दिन की मुरली जो मिस होती है वह बैठ पढ़नी चाहिए। यह भी बाप कहते हैं ऐसीऐसी चैलेन्ज दोयह रचता और रचना के आदि, मध्य, अन्त का नॉलेज कोई आकर दे तो हम उनको खर्चा आदि सब देंगे। ऐसी चैलेन्ज तो जो जानते हैं वह देंगे ना। टीचर खुद जानता है तब तो पूछते हैं ना। बिगर जाने पूछेंगे कैसे।”

 

4.    “कोईकोई बच्चे मुरली की भी डोन्टकेयर करते हैं। बस हमारा तो शिवबाबा से ही कनेक्शन है। परन्तु शिवबाबा जो सुनाते हैं वह भी सुनना है ना कि सिर्फ उनको याद करना है। बाप कैसे अच्छीअच्छी मीठीमीठी बातें सुनाते हैं। परन्तु माया बिल्कुल ही मगरूर कर देती है।”

 

5.    “पवित्रता पूज्य बनाती है। पूज्य वही बनते हैं जो सदा श्रेष्ठ कर्म करते हैं। लेकिन पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं। मन्सा संकल्प में भी किसी के प्रति निगेटिव संकल्प उत्पन्न हो। बोल भी अयथार्थ हो। सम्बन्धसम्पर्क में भी फ़र्क हो, सबके साथ अच्छा एक जैसा सम्बन्ध हो। मन्सावाचाकर्मणा किसी में भी पवित्रता खण्डित हो तब कहेंगे पूज्य आत्मा। मैं परम पूज्य आत्मा हूँइस स्मृति से पवित्रता का फाउन्डेशन मजबूत बनाओ।”


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