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Key Points From The Daily Murli – Hindi and English

Key Points From Daily Murli – 19th February 2025

 1.     “अब बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं कि जो जीते जी मरे हैं, कहते हैं हम जीते जी मर चुके है, जैसे मनुष्य मरता है तो सब कुछ भूल जाता है सिर्फ संस्कार रहते हैं। अभी तुम भी बाप का बनकर दुनिया से मर गये हो। बाप कहते हैं तुम्हारे में भक्ति के संस्कार थे, अब वह संस्कार बदल रहे हैं तो जीते जी तुम मरते हो ना। मरने से मनुष्य पढ़ा हुआ सब कुछ भूल जाता है फिर दूसरे जन्म में नये सिर पढ़ना होता है। बाप भी कहते हैं तुम जो कुछ पढ़े हुए हो वह भूल जाओ। तुम तो बाप के बने हो ना। मैं तुमको नई बात सुनाता हूँ। तो अब वेद, शास्त्र, ग्रंथ, जप, तप आदि यह सब बातें भूल जाओ इसलिए ही कहा हैहियर नो ईविल, सी नो ईविल……. यह तुम बच्चों के लिए है। कई बहुत शास्त्र आदि पढ़े हुए हैं, पूरा मरे नहीं हैं तो फालतू आरग्यु करेंगे। मर गये फिर कभी आरग्यु नहीं करेंगे। कहेंगे बाप ने जो सुनाया है वही सच है, बाकी बातें हम मुख पर क्यों लायें! बाप कहते हैं यह मुख में लाओ ही नहीं। हियर नो ईविल। बाप ने डायरेक्शन दिया नाकुछ भी सुनो नहीं। बोलो, अभी हम ज्ञान सागर के बच्चे बने हैं तो भक्ति को क्यों याद करें! हम एक भगवान को ही याद करते हैं। बाप ने कहा है भक्तिमार्ग को भूल जाओ। मैं तुमको सहज बात सुनाता हूँ कि मुझ बीज को याद करो तो झाड़ सारा बुद्धि में ही जायेगा। तुम्हारी मुख्य है गीता। गीता में ही भगवान की समझानी है। अब यह हैं नई बातें। नई बात पर हमेशा ज्यादा ध्यान दिया जाता है। है भी बड़ी सिम्पुल बात। सबसे बड़ी बात है याद करने की। घड़ीघड़ी कहना पड़ता हैमन्मनाभव। बाप को याद करो, यही बहुत गुह्य बातें हैं, इसमें ही विघ्न पड़ते हैं।”

 

2.    “अभी तुम धणी के बने हो। माया कई बार बच्चों को भी निधन का बना देती है, छोटीछोटी बातों में आपस में लड़ पड़ते हैं। बाप की याद में नहीं रहते तो निधन के हुए ना। निधनका बना तो जरूर कुछ कुछ पाप कर्म कर देंगे। बाप कहते हैं मेरा बनकर मेरा नाम बदनाम करो। एकदो से बड़ा प्यार से चलो, उल्टासुल्टा बोलो मत।”

 

3.    “शिवबाबा को ही रूद्र कहा जाता है। रूद्र ज्ञान यज्ञ से विनाश ज्वाला निकली तो रूद्र भगवान हुआ ना। श्रीकृष्ण को तो रूद्र नहीं कहेंगे। विनाश भी कोई श्रीकृष्ण नहीं कराते, बाप ही स्थापना, विनाश, पालना कराते हैं। खुद कुछ नहीं करते, नहीं तो दोष पड़ जाए। वह है करनकरावनहार। बाप कहते हैं हम कोई कहते नहीं हैं कि विनाश करो। यह सारा ड्रामा में नूँधा हुआ है। शंकर कुछ करता है क्या? कुछ भी नहीं। यह सिर्फ गायन है कि शंकर द्वारा विनाश। बाकी विनाश तो वह आपेही कर रहे हैं। यह अनादि बना हुआ ड्रामा है जो समझाया जाता है।”

 

4.    “रचयिता बाप को ही सब भूल गये हैं। कहते हैं गॉड फादर रचयिता है परन्तु उनको जानते ही नहीं। समझते हैं कि वह दुनिया क्रियेट करते हैं। बाप कहते हैं मैं क्रियेट नहीं करता हूँ, मैं चेन्ज करता हूँ। कलियुग को सतयुग बनाता हूँ। मैं संगम पर आता हूँ, जिसके लिये गाया हुआ हैसुप्रीम ऑस्पीशियस युग। भगवान कल्याणकारी है, सबका कल्याण करते हैं परन्तु कैसे और क्या कल्याण करते हैं, यह कुछ जानते नहीं। अंग्रेजी में कहते हैं लिबरेटर, गाइड, परन्तु उनका अर्थ थोड़ेही समझते हैं।”

 

5.    “शिव भगवानुवाच मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे। मैं ही पतितपावन हूँ। तुम पवित्र हो जायेंगे फिर सबको ले जाऊंगा। मैसेज घरघर में दो। बाप कहते हैंमुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। तुम पवित्र बन जायेंगे। विनाश सामने खड़ा है। तुम बुलाते भी हो हे पतितपावन आओ, पतितों को पावन बनाओ, रामराज्य स्थापन करो, रावण राज्य से मुक्त करो। वह हर एक अपनेअपने लिए कोशिश करते हैं। बाप तो कहते हैं मैं आकर सर्व की मुक्ति करता हूँ। सभी 5 विकारों रूपी रावण की जेल में पड़े हैं, मैं सर्व की सद्गति करता हूँ। मुझे कहा भी जाता है दु: हर्ता सुख कर्ता। रामराज्य तो जरूर नई दुनिया में होगा।

 

6.    “तुम पाण्डवों की अभी है प्रीत बुद्धि। कोईकोई की तो फौरन प्रीत बुद्धि बन जाती है। कोईकोई की आहिस्तेआहिस्ते प्रीत जुटती है। कोई तो कहते हैं बस हम सब कुछ बाप को सरेन्डर करते हैं। सिवाए एक के दूसरा कोई रहा ही नहीं। सबका सहारा एक गॉड ही है। कितनी सिम्पुल से सिम्पुल बात है। बाप को याद करो और चक्र को याद करो तो चक्रवर्ती राजारानी बनेंगे। यह स्कूल ही है विश्व का मालिक बनने का, तब चक्रवर्ती राजा नाम पड़ा है। चक्र को जानने से फिर चक्रवर्ती बनते हैं। यह बाप ही समझाते हैं। बाकी आरग्यु कुछ भी नहीं करनी है। बोलो, भक्ति मार्ग की सब बातें छोड़ो। बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो।”

 

7.     “जो तीव्र पुरूषार्थी होते हैं वह जोर से पढ़ाई में लग जाते हैं, जिनको पढ़ाई का शौक होता है वह सवेरे उठकर पढ़ाई करते हैं। भक्ति वाले भी सवेरे उठते हैं। नौधा भक्ति कितनी करते हैं, जब सिर काटने लगते हैं तो साक्षात्कार होता है। यहाँ तो बाबा कहते हैं यह साक्षात्कार भी नुकसानकारक है। साक्षात्कार में जाने से पढ़ाई और योग दोनों बंद हो जाते हैं। टाइम वेस्ट हो जाता है इसलिए ध्यान आदि का शौक तो बिल्कुल नहीं रखना है। यह भी बड़ी बीमारी है, जिससे माया की प्रवेशता हो जाती है। जैसे लड़ाई के समय न्यूज़ सुनाते हैं तो बीच में ऐसी कुछ खराबी कर देते हैं जो कोई सुन सके। माया भी बहुतों को विघ्न डालती है। बाप को याद करने नहीं देती है। समझा जाता है इनकी तकदीर में विघ्न है। देखा जाता है कि माया की प्रवेशता तो नहीं है। बेकायदे तो नहीं कुछ बोलते हैं तो फिर झट बाबा नीचे उतार देंगे। बहुत मनुष्य कहते हैंहमको सिर्फ साक्षात्कार हो तो इतना सब धन माल आदि हम आपको दे देंगे। बाबा कहते हैं यह तुम अपने पास ही रखो। भगवान को तुम्हारे पैसे की क्या दरकार रखी है। बाप तो जानते हैं इस पुरानी दुनिया में जो कुछ है, सब भस्म हो जायेगा। बाबा क्या करेंगे? बाबा पास तो फुरीफुरी (बूँदबूँद) तलाव हो जाता है। बाप के डायरेक्शन पर चलो, हॉस्पिटल कम युनिवर्सिटी खोलो, जहाँ कोई भी आकर विश्व का मालिक बन सके। तीन पैर पृथ्वी में बैठ तुमको मनुष्य को नर से नारायण बनाना है। परन्तु 3 पैर पृथ्वी के भी नहीं मिलते हैं।”

 

8.    “बाप कहते हैं मैं तुमको सभी वेदोंशास्त्रों का सार बताता हूँ। यह शास्त्र हैं सब भक्ति मार्ग के। बाबा कोई निंदा नहीं करते हैं। यह तो खेल बना हुआ है। यह सिर्फ समझाने के लिए कहा जाता है। है तो फिर भी खेल ना। खेल की हम निंदा नहीं कर सकते हैं। हम कहते हैं ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा तो फिर वह चन्द्रमा आदि में जाकर ढूँढते हैं। वहाँ कोई राजाई रखी है क्या? जापानी लोग सूर्य को मानते हैं। हम कहते हैं सूर्यवंशी, वह फिर सूर्य की बैठ पूजा करते हैं, सूर्य को पानी देते हैं। तो बाबा ने बच्चों को समझाया है कोई बात में जास्ती आरग्यु नहीं करनी है। बात ही एक सुनाओ बाप कहते हैंमामेकम् याद करो तो पावन बनेंगे।”

 

9.    “बच्चे, तुम्हारी एक आंख में शान्तिधाम, एक आंख में सुखधाम बाकी इस दु:खधाम को भूल जाओ। तुम हो चैतन्य लाइट हाउस। अभी प्रदर्शनी में भी नाम रखा हैभारत दी लाइट हाउस……. लेकिन वह कोई थोड़ेही समझेंगे। तुम अभी लाइट हाउस हो ना। पोर्ट पर लाइट हाउस स्टीमर को रास्ता बताते हैं। तुम भी सबको रास्ता बताते हो मुक्ति और जीवनमुक्ति धाम का।”

 

10. “तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए पढ़ाई का शौक रखना है। सवेरेसवेरे उठकर पढ़ाई पढ़नी है। साक्षात्कार की आश नहीं रखनी है, इसमें भी टाइम वेस्ट जाता है।”

 

11.  “रूहानी शान में रहो तो कभी भी अभिमान की फीलिंग नहीं आयेगी।”


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