Key Points From Daily Murli – 16th November 2024
2. “वह कोशिश करते हैं ऊपर जाकर देखें चन्द्रमा में क्या है, स्टॉर में क्या है? तुम बच्चे जानते हो यह तो इस माण्डवे की बत्तियां हैं। जैसे माण्डवे में बिजलियां लगाते हैं। म्यूज़ियम में भी तुम बत्तियों की लड़ियाँ लगाते हो ना। यह फिर है बेहद की दुनिया। इसमें यह सूर्य, चांद, सितारे रोशनी देने वाले हैं। मनुष्य फिर समझते हैं सूर्य–चन्द्रमा यह देवतायें हैं। परन्तु यह देवता तो हैं नहीं।”
3. “ज्ञान से ही तुम बच्चों की सद्गति हो रही है। तुम कितना दूर जाते हो। बाप ने ही घर जाने का रास्ता बताया है। सिवाए बाप के कोई भी वापिस अपने घर जा नहीं सकते। बाप जब आकर शिक्षा देते हैं, तब तुम जानते हो। यह भी समझते हैं हम आत्मा पवित्र बनेंगे तब ही अपने घर जा सकेंगे। फिर या तो योगबल से या सजाओं के बल से पावन बनना है। बाप तो समझाते रहते हैं जितना बाप को याद करेंगे उतना तुम पावन बनेंगे। याद नहीं करेंगे तो पतित ही रह जायेंगे फिर बहुत सजा खानी पड़ेगी और पद भी भ्रष्ट हो जायेगा। बाप खुद बैठ तुमको समझाते हैं। तुम ऐसे–ऐसे घर जा सकते हो।”
4. “असुल में तुम आत्मायें पावन थी। ऊपर अपने घर में रहने वाली थी, जब तुम सतयुग में जीवनमुक्ति में हो तो बाकी सब मुक्तिधाम में रहते हैं। मुक्ति और जीवनमुक्ति दोनों को हम शिवालय कह सकते हैं। मुक्ति में शिवबाबा भी रहते हैं, हम बच्चे (आत्मायें) भी रहते हैं। यह है रूहानी हाइएस्ट नॉलेज।”
5. “बाप ने बताया है यह युद्ध का मैदान है, टाइम लगता है पावन बनने में। इतना ही समय लगता है जब तक लड़ाई पूरी हो। ऐसे नहीं जो शुरू में आये हैं वह पूरे पावन होंगे। बाबा कहते हैं माया की लड़ाई बड़ी जोर से चलती है। अच्छे–अच्छे को भी माया जीत लेती है। इतनी तो बलवान है। जो गिरते हैं वह फिर मुरली भी कहाँ से सुनें। सेन्टर में तो आते ही नहीं तो उनको कैसे पता पड़े। माया एकदम वर्थ नाट ए पेनी बना देती है। मुरली जब पढ़ें तब सुजाग हों। गन्दे काम में लग जाते हैं। कोई सेन्सीबुल बच्चा हो जो उनको समझावे – तुमने माया से कैसे हार खाई है। बाबा तुमको क्या सुनाते हैं, तुम फिर कहाँ जा रहे हो। देखते हैं इनको माया खा रही है तो बचाने की कोशिश करनी चाहिए। कहाँ माया सारा हप न कर लेवे। फिर से सुजाग हो जाएं। नहीं तो ऊंच पद नहीं पायेंगे। सतगुरू की निंदा कराते हैं।“