Key Points From Daily Murli – 14th March 2025
अभी तुम बच्चों का मुख्य पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:-
तुम सजाओं से छूटने का ही पुरूषार्थ करते रहते हो। उसके लिए मुख्य है याद की यात्रा, जिससे ही विकर्म विनाश होते हैं। तुम प्यार से याद करो तो बहुत कमाई जमा होती जायेगी। सवेरे–सवेरे उठकर याद में बैठने से पुरानी दुनिया भूलती जायेगी। ज्ञान की बातें बुद्धि में आती रहेंगी। तुम बच्चों को मुख से कोई किचड़–पट्टी की बातें नहीं बोलनी हैं।”
1. “हमको बाप से विश्व की बादशाही मिलती है! परन्तु माया याद करने नहीं देती है। मित्र–सम्बन्धियों आदि की याद आती रहती है। उनका ही चिंतन रहता है। पुराना सड़ा हुआ किचड़ा बहुतों को याद आता है। बाप जो बतलाते हैं, तुम विश्व के मालिक बनते हो वह नशा नहीं चढ़ता। स्कूल में पढ़ने वालों का चेहरा खुशनुमा रहता है। यहाँ भगवान पढ़ाते हैं, वह खुशी कोई विरले को रहती है। नहीं तो खुशी का पारा अथाह चढ़ा रहना चाहिए। बेहद का बाप हमको पढ़ाते हैं, यह भूल जाते हैं। यह याद रहे तो भी खुशी रहे। परन्तु पास्ट का कर्मभोग ही ऐसा है तो बाप को याद करते ही नहीं। मुँह फिर भी किचड़े तरफ चला जाता है। बाबा सबके लिए तो नहीं कहते हैं, नम्बरवार हैं। महान सौभाग्यशाली वह जो बाप की याद में रहे।”
2. “तुम तो हो ज्ञान वाले। तुम्हें पुरानी दुनिया की किचड़पट्टी में नहीं फँसना है। परन्तु कई बच्चे ऐसे फँस पड़ते हैं जो बात मत पूछो। किचड़पट्टी से निकलते ही नहीं। सारा दिन किचड़ा ही बोलते रहते। ज्ञान की बातें बुद्धि में आती ही नहीं। कई तो ऐसे बच्चे भी हैं जो सारा दिन सर्विस पर भागते रहते हैं। बाप की जो सर्विस करते हैं, याद भी वह आयेंगे।”
3. “जो आपस में लड़ते रहते वो सर्विस क्या करते होंगे! बाप को प्यारे कौन लगेंगे? जो अच्छी सर्विस करते हैं, दिन–रात सर्विस की ही चिंता रहती है, बाप की दिल पर भी वही चढ़ते हैं। घड़ी–घड़ी ऐसे गीत तुम सुनते रहो तो भी याद रहे, कुछ नशा चढ़े। बाबा ने कहा है, कोई समय किसको उदासी आ जाती है तो रिकार्ड बजाने से खुशी आ जायेगी।”
4. “बाबा ने अच्छे–अच्छे 10-12 रिकार्ड छांटकर निकाले थे कि हरेक के पास रहने चाहिए। परन्तु फिर भी भूल जाते हैं। कई तो चलते–चलते पढ़ाई ही छोड़ देते हैं। माया वार कर लेती है। बाप तमोप्रधान बुद्धि को सतोप्रधान बनाने की कितनी सहज युक्ति बताते हैं। अभी तुमको रांग राइट सोचने की बुद्धि मिली है। बुलाते भी बाप को हैं – हे पतित–पावन आओ। अब बाप आये हैं तो पावन बनना चाहिए ना। तुम्हारे सिर पर जन्म–जन्मान्तर का बोझा है, उसके लिए जितना याद करेंगे, पवित्र बनेंगे, खुशी भी रहेगी। भल सर्विस तो करते रहते हैं परन्तु अपना भी हिसाब रखना है।”
5. “हम बाप को कितना समय याद करते हैं। याद का चार्ट कोई रख नहीं सकते। प्वाइंट तो भल लिखते हैं परन्तु याद को भूल जाते हैं। बाप कहते हैं तुम याद में रह भाषण करेंगे तो बल बहुत मिलेगा। नहीं तो बाप कहते हैं मैं ही जाकर बहुतों को मदद करता हूँ। कोई में प्रवेश कर मैं ही जाकर सर्विस करता हूँ। सर्विस तो करनी है ना। देखता हूँ किसका भाग्य खुलने का है, समझाने वाले में इतना अक्ल नहीं है तो मैं प्रवेश कर सर्विस कर लेता हूँ फिर कोई–कोई लिखते हैं – बाबा ने ही यह सर्विस की। हमारे में तो इतनी ताकत नहीं, बाबा ने मुरली चलाई। कोई को फिर अपना अहंकार आ जाता है, हमने ऐसा अच्छा समझाया। बाप कहते हैं मैं कल्याण करने के लिए प्रवेश करता हूँ फिर वह ब्राह्मणी से भी तीखे हो जाते हैं।”
6. “अभी तो तुम प्रैक्टिकल में देखते हो। 10 वर्ष पवित्रता में चला, अचानक ही माया ने ऐसा घूँसा लगाया, की कमाई चट कर दी, पतित बन पड़ा। ऐसे बहुत मिसाल होते रहते हैं। बहुत गिरते हैं। माया के तूफानों में सारा दिन हैरान रहते हैं, फिर बाप को ही भूल जाते हैं। बाप से हमको बेहद की बादशाही मिलती है, वह खुशी नहीं रहती। काम के पीछे फिर मोह भी है। इसमें नष्टोमोहा बनना पड़े। पतितों से क्या दिल लगानी है। हाँ, यही ख्याल रखना है – इनको भी हम बाप का परिचय दे उठावें। इनको किस रीति शिवालय का लायक बनायें। अन्दर में यह युक्ति रचो। मोह की बात नहीं। कितना भी प्यारा सम्बन्धी हो, उनको भी समझाते रहो। किसी में भी हड्डी प्यार की रग न जाये। नहीं तो सुधरेंगे नहीं। रहमदिल बनना चाहिए। अपने पर भी रहम करना है और औरों पर भी रहम करना है।”
7. “भल कोई बात का ख्यालात भी आता है फिर बाप को याद करो तो गोया कामकाज का ख्याल भी किया फिर बाबा की याद में लग गया। बाप कहते हैं कर्म तो भल करो, नींद भी करो, साथ–साथ यह भी करो। कम से कम 8 घण्टे तक आना चाहिए – यह होगा पिछाड़ी तक। धीरे–धीरे अपना चार्ट बढ़ाते रहो। कोई–कोई लिखते हैं दो घण्टा याद में रहा फिर चलते–चलते चार्ट ढीला हो जाता है। वह भी माया गुम कर देती है। माया बड़ी जबरदस्त है। जो इस सर्विस में सारा दिन बिजी रहेंगे वही याद भी कर सकेंगे। घड़ी–घड़ी बाप का परिचय देते रहेंगे। बाबा याद के लिए बहुत जोर देते रहते हैं। खुद भी फील करते हैं हम याद में रह नहीं सकते हैं। याद में ही माया विघ्न डालती है। पढ़ाई तो बहुत सहज है। बाप से हम पढ़ते भी हैं। जितना धन लेंगे उतना साहूकार बनेंगे। बाप तो सभी को पढ़ाते हैं ना। वाणी सबके पास जाती है सिर्फ तुम नहीं, सब पढ़ रहे हैं। वाणी नहीं जाती तो चिल्लाते हैं। कई तो फिर ऐसे भी हैं जो सुनेंगे ही नहीं। ऐसे ही चलते रहते। मुरली सुनने का शौक होना चाहिए। गीत कितना फर्स्ट क्लास है – बाबा हम अपना वर्सा लेने आये हैं। कहते भी हैं ना – बाबा, जैसी हूँ, तैसी हूँ, कानी हूँ, कैसी भी हूँ, आपकी हूँ। वह तो ठीक है परन्तु छी–छी से तो अच्छा बनना चाहिए ना। सारा मदार है योग और पढ़ाई पर।”
8. “बाप की याद में शान्ति में रहो। परन्तु बाबा जानते हैं सम्मुख रहने वालों से भी दूर रहने वाले बहुत याद में रहते हैं और अच्छा पद पा लेते हैं। भक्ति मार्ग में भी ऐसा होता है। कोई भक्त अच्छे फर्स्टक्लास होते हैं जो गुरू से भी जास्ती याद में रहते हैं। जो बहुत अच्छी भक्ति करते होंगे वही यहाँ आते हैं। सभी भक्त हैं ना। सन्यासी आदि नहीं आयेंगे, सभी भक्त भक्ति करते–करते आ जायेंगे। बाप कितना क्लीयर कर समझाते हैं। तुम ज्ञान उठा रहे हो, सिद्ध होता है तुमने बहुत भक्ति की है। जास्ती भक्ति करने वाले जास्ती पढ़ेंगे। कम भक्ति करने वाले कम पढ़ेंगे। मुख्य मेहनत है याद की। याद से ही विकर्म विनाश होंगे और बहुत मीठा भी बनना है।”
9. “कितना भी कोई प्यारा सम्बन्धी हो उसमें मोह की रग नहीं जानी चाहिए। नष्टोमोहा बनना है। युक्ति से समझाना है। अपने ऊपर और दूसरों पर रहम करना है।”
10. “दृष्टि को अलौकिक, मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाओ।”