“परमात्मा की डायरेक्ट रचना, पहली रचना आप पवित्र आत्माओं को ही प्राप्त होती है। जिससे आप ब्राह्मण ही विश्व की आत्माओं को भी मुक्ति का वर्सा बाप से दिलाते हो। तो यह सारे चक्कर में अनादि काल, आदि काल, मध्य Read more…
“जैसे मोटर से पेट्रोल खत्म होने पर फिर भरा जाता है ना। अभी तुम्हारी आत्मा समझती है – हमारे में पेट्रोल कैसे भरेगा! बैटरी खाली होती है फिर उनमें पावर भरी जाती है ना। बैटरी खाली होती है तो लाइट Read more…
“प्रश्नः–बाप अपने बच्चों को उन्नति की कौन सी एक युक्ति बताते हैं? उत्तर:-बच्चे, तुम आज्ञाकारी बन बापदादा की मत पर चलते रहो। बापदादा दोनों इक्ट्ठे हैं, इसलिए अगर इनके कहने से कुछ नुकसान भी हुआ तो भी रेस्पान्सिबुल बाप है, Read more…
“प्रश्नः–ड्रामा के किस राज़ को समझने वाले कौन–सी राय किसी को भी नहीं देंगे? उत्तर:-जो समझते हैं कि ड्रामा में जो कुछ पास्ट हो गया वह फिर से एक्युरेट रिपीट होगा, वह कभी किसी को भक्ति छोड़ने की राय नहीं Read more…
“प्रश्नः–होलीएस्ट ऑफ दी होली बच्चों का नशा और निशानियाँ क्या होंगी? उत्तर:-उन्हें नशा होगा कि हमने होलीएस्ट ऑफ दी होली बाप की गोद ली है। हम होलीएस्ट देवी–देवता बनते हैं, उनके अन्दर मन्सा में भी खराब ख्यालात आ नहीं सकते। Read more…
“प्रश्नः–किस मुख्य विशेषता के कारण पूज्य सिर्फ देवताओं को ही कह सकते हैं? उत्तर:-देवताओं की ही विशेषता है जो कभी किसी को याद नहीं करते। न बाप को याद करते, न किसी के चित्रों को याद करते, इसलिए उन्हें पूज्य Read more…
“तुमको कुछ भी कहना नहीं है। तुम साइलेन्स से विश्व पर जीत पाते हो। उन्हों की है साइंस, तुम्हारी है साइलेन्स। तुम बच्चे ज्ञान और विज्ञान का भी यथार्थ अर्थ जानते हो। ज्ञान है समझ और विज्ञान है सब कुछ Read more…
Avyakt Vaani Date: 18th January 2008 “जो आया है वह जाता भी है लेकिन जायेगा कैसे? स्नेह को याद करने से मेहनत चली जायेगी क्योंकि सभी को भिन्न–भिन्न समय पर बापदादा दोनों के स्नेह का अनुभव तो है। है Read more…
“कई बच्चे लिखते हैं लक्ष्मी बड़ी या सरस्वती माँ बड़ी। लक्ष्मी तो एक होती है – श्री नारायण की। अगर महालक्ष्मी को पूजते हैं तो उनको 4 भुजा दिखाते हैं। उसमें दोनों आ जाते हैं। वास्तव में उसको लक्ष्मी–नारायण की Read more…
“आत्मा ही सुनती है, पढ़ती है, आत्मा में ही संस्कार हैं। हम आत्मा भिन्न–भिन्न शरीर धारण करती हैं। बच्चों को इस निश्चय बुद्धि होने में भी बड़ी मेहनत लगती है। कहते हैं बाबा घड़ी–घड़ी भूल जाते हैं। बाप समझाते हैं Read more…