1. “ब्रह्मा बाप ने निमित्त बच्चों को विश्व सेवा की जिम्मेवारी का ताज पहनाया। स्वयं अननोन बनें और बच्चों को साकार स्वरूप में निमित्त बनाने का, स्मृति का तिलक दिया। स्वयं समान अव्यक्त फरिश्ते स्वरूप का, प्रकाश का ताज पहनाया। Read more…
1. “शान्ति तो शान्तिधाम में ही हो सकती है, जिसको मूलवतन कहा जाता है। आत्मा को जब शरीर नहीं है तब शान्ति है। सतयुग में पवित्रता–सुख–शान्ति सब है।” 2. “रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं। सब मनुष्य Read more…
“मीठे बच्चे – तुम्हें चलते फिरते याद में रहने का अभ्यास करना है। ज्ञान और योग यही मुख्य दो चीजें हैं, योग माना याद“ “प्रश्नः– अक्लमंद (होशियार) बच्चे कौन से बोल मुख से नहीं बोलेंगे? उत्तर:- हमें योग सिखलाओ, Read more…
“मीठे बच्चे – पुरानी दुनिया के कांटों को नई दुनिया के फूल बनाना – यह तुम होशियार मालियों का काम हैं” “प्रश्नः– संगमयुग पर तुम बच्चे कौन–सी श्रेष्ठ तकदीर बनाते हो? उत्तर:- कांटे से खुशबूदार फूल बनना – यह Read more…
“मीठे बच्चे – इस शरीर रूपी कपड़े को यहाँ ही छोड़ना है, इसलिए इससे ममत्व मिटा दो, कोई भी मित्र–सम्बन्धी याद न आये“ “प्रश्नः– जिन बच्चों में योगबल है, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- उन्हें किसी भी बात में थोड़ा Read more…
“प्रश्नः– कौन–सा नया रास्ता तुम बच्चों के सिवाए कोई भी नहीं जानता है? उत्तर:- घर का रास्ता वा स्वर्ग जाने का रास्ता अभी बाप द्वारा तुम्हें मिला है। तुम जानते हो शान्तिधाम हम आत्माओं का घर है, स्वर्ग अलग है, Read more…
“मीठे बच्चे – आत्मा रूपी ज्योति में ज्ञान–योग का घृत डालो तो ज्योत जगी रहेगी, ज्ञान और योग का कॉन्ट्रास्ट अच्छी रीति समझना है“ “गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन……..” 1. “ओम् शान्ति। भक्तों ने यह गीत बनाया Read more…
1. “मन्सा द्वारा शक्ति स्वरूप बनाओ। महादानी बन मन्सा द्वारा, वायब्रेशन द्वारा निरन्तर शक्तियों का अनुभव कराओ। वाचा द्वारा ज्ञान दान दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो। सारा दिन चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्म तीनों द्वारा अखण्ड महादानी Read more…
“मीठे बच्चे – तुम आत्माओं का स्वधर्म शान्ति है, तुम्हारा देश शान्तिधाम है, तुम आत्मा शान्त स्वरूप हो इसलिए तुम शान्ति मांग नहीं सकते“ “प्रश्नः– तुम्हारा योगबल कौन–सी कमाल करता है? उत्तर:- योगबल से तुम सारी दुनिया को पवित्र Read more…