1. “निश्चय में ही विजय है, इसमें कभी नुकसान नहीं होगा। नुकसान को भी बाप फायदे में बदल देंगे। परन्तु निश्चयबुद्धि वालों को।“ 2. “बाबा खुद गैरन्टी करते हैं – श्रीमत पर चलने से कभी अकल्याण हो नहीं सकता।” Read more…
“प्रश्नः– बाबा किन बच्चों का कुछ भी स्वीकार नहीं करते हैं? उत्तर:- जिन्हें अहंकार है मैं इतना देता हूँ, मैं इतनी मदद कर सकता हूँ, बाबा उनका कुछ भी स्वीकार नहीं करते। बाबा कहते मेरे हाथ में चाबी है। चाहे Read more…
“प्रश्नः– इस बेहद के ड्रामा में सबसे जबरदस्त लेबर्स (नौकर) कौन–कौन हैं और कैसे? उत्तर:- इस पुरानी दुनिया की सफाई करने वाले सबसे जबरदस्त लेबर्स हैं नैचुरल कैलेमिटीज। धरती हिलती है, बाढ़ आती है, सफाई हो जाती है। इसके लिए Read more…
1. “मीठे–मीठे सिकीलधे बच्चों से रूहानी बाप पूछते हैं यहाँ तुम बैठे हो, किसकी याद में बैठे हो? (बाप, शिक्षक, सतगुरू की) सभी इन तीनों की याद में बैठे हो? हर एक अपने से पूछे यह सिर्फ यहाँ बैठे याद Read more…
“प्रश्नः– माया तुम्हारे बीच में विघ्न क्यों डालती है? कोई कारण बताओ? उत्तर:- 1. क्योंकि तुम माया के बड़े ते बड़े ग्राहक हो। उसकी ग्राहकी खत्म होती है इसलिए विघ्न डालती है। 2. जब अविनाशी वैद्य तुम्हें दवा देता है Read more…
1. “वर्तमान समय माया के विशेष दो रूप बच्चों का पेपर लेते हैं। एक व्यर्थ संकल्प, विकल्प नहीं, व्यर्थ संकल्प। दूसरा – “मैं ही राइट हूँ”। जो किया, जो कहा, जो सोचा…. मैं कम नहीं, राइट हूँ। बापदादा समय के Read more…
1. “तुमको बाप रूहानी हुनर (कला) सिखलाते हैं। इस हुनर सीखने से तुमको कितनी बड़ी प्राइज़ मिलती है। 21 जन्मों की प्राइज मिलती है, नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार। आजकल गवर्मेन्ट लॉटरी भी निकालती है ना। यह बाप तुमको प्राइज़ देते हैं। Read more…
“प्रश्नः– इस पाप आत्माओं की दुनिया में कौन–सी बात बिल्कुल असम्भव है और क्यों? उत्तर:- यहाँ कोई कहे हम पुण्य आत्मा हैं, यह बिल्कुल असम्भव है क्योंकि दुनिया ही कलियुगी तमोप्रधान है। मनुष्य जिसको पुण्य का काम समझते हैं वह Read more…
“प्रश्नः– ईश्वरीय गवर्मेन्ट का गुप्त कर्तव्य कौन–सा है, जिसे दुनिया नहीं जानती? उत्तर:- ईश्वरीय गवर्मेन्ट आत्माओं को पावन बनाकर देवता बनाती है – यह है बहुत गुप्त कर्तव्य, जिसे मनुष्य नहीं समझ सकते। जब मनुष्य देवता बनें तब तो नर्कवासी Read more…
1. “रावण का अर्थ ही है – 5 विकार स्त्री में, 5 विकार पुरूष में।” 2. “यह निश्चय बिठाना है कि हम आत्मा हैं, परमात्मा नहीं हैं। न हमारे में परमात्मा व्यापक है। सभी में आत्मा व्यापक है। आत्मा Read more…