1. “संकल्प बहुत अच्छे करते हो, इतने अच्छे संकल्प करते हैं जो सुन–सुन खुश हो जाते हैं। संकल्प करते हो लेकिन बाद में क्या होता है? संकल्प कमजोर क्यों हो जाते हैं? जब चाहते भी हो क्योंकि बाप से प्यार Read more…
1. “आप ब्राह्मणों के ऊपर परमात्म छत्रछाया है। जैसे वाटरप्रूफ कितना भी वाटर हो लेकिन वाटरप्रूफ द्वारा वाटरप्रूफ हो जाते हैं। ऐसे ही कितनी भी हलचल हो लेकिन ब्राह्मण आत्मायें परमात्म छत्रछाया के अन्दर सदा प्रूफ हैं। बेफिकर बादशाह हो Read more…
1. “हर एक ब्राह्मण आत्मा का ब्राह्मण जीवन का आदिकाल स्नेह की शक्ति द्वारा ही हुआ है। ब्राह्मण जन्म की यह स्नेह की शक्ति वरदान बन आगे बढ़ा रही है।” 2. “सबसे पहली स्मृति सबको क्या मिली? पहला पाठ Read more…
1. “बापदादा देख रहे थे कि स्वमान का निश्चय और उसका रूहानी नशा दोनों का बैलेन्स कितना रहता है? निश्चय है – नॉलेजफुल बनना और रूहानी नशा है – पावॅरफुल बनना। तो नॉलेजफुल में भी दो प्रकार देखे – एक Read more…
1. “वर्तमान समय माया के विशेष दो रूप बच्चों का पेपर लेते हैं। एक व्यर्थ संकल्प, विकल्प नहीं, व्यर्थ संकल्प। दूसरा – “मैं ही राइट हूँ”। जो किया, जो कहा, जो सोचा…. मैं कम नहीं, राइट हूँ। बापदादा समय के Read more…
1. “जहाँ हर संकल्प में, हर कार्य में निश्चय है वहाँ विजय हुई पड़ी है। सफलता जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में स्वत: और सहज प्राप्त है। जन्म सिद्ध अधिकार के लिए मेहनत की आवश्यकता नहीं होती। सफलता ब्राह्मण जीवन Read more…
1. “ब्राह्मण जीवन की पर्सनाल्टी प्युरिटी है और प्युरिटी ही रूहानी रॉयल्टी है। तो आदि अनादि, आदि मध्य और अन्त सारे कल्प में यह रूहानी रॉयल्टी चलती रही है।” 2. “प्युरिटी की वृत्ति है – शुभ भावना, शुभ कामना। Read more…