1. “तो इमर्ज करो कितने खजाने बापदादा ने दिये हैं। सबसे पहला खजाना है।” 2. “ज्ञान धन अर्थात् समझदार बन, त्रिकालदर्शी बन कर्म करना। नॉलेजफुल बनना। फुल नॉलेज और तीनों कालों की नॉलेज को समझ ज्ञान धन को कार्य Read more…
1. “आज बापदादा हर एक बच्चे के मस्तक में तीन भाग्य के सितारे चमकते हुए देख रहे हैं। एक परमात्म पालना का भाग्य, परमात्म पढ़ाई का भाग्य, परमात्म वरदानों का भाग्य। ऐसे तीन सितारे सभी के मस्तक बीच देख रहे Read more…
1. “देह–अभिमान सभी विकारों का बीज है।” 2. “सर्व समर्पित होने में यह देह भान का मैं–पन ही रूकावट डालता है। कॉमन मैं–पन, मैं देह हूँ, वा देह के सम्बन्ध का मैं–पन, देह के पदार्थों का समर्पण यह तो Read more…
1. “आज चारों ओर के सर्व श्रेष्ठ बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा पूर्वज भी है और पूज्य भी है इसलिए इस कल्प वृक्ष के आप सभी जड़ हैं, तना भी हैं। तना का कनेक्शन सारे वृक्ष के Read more…
1. “ब्रह्मा बाप ने निमित्त बच्चों को विश्व सेवा की जिम्मेवारी का ताज पहनाया। स्वयं अननोन बनें और बच्चों को साकार स्वरूप में निमित्त बनाने का, स्मृति का तिलक दिया। स्वयं समान अव्यक्त फरिश्ते स्वरूप का, प्रकाश का ताज पहनाया। Read more…
1. “मन्सा द्वारा शक्ति स्वरूप बनाओ। महादानी बन मन्सा द्वारा, वायब्रेशन द्वारा निरन्तर शक्तियों का अनुभव कराओ। वाचा द्वारा ज्ञान दान दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो। सारा दिन चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्म तीनों द्वारा अखण्ड महादानी Read more…
1. “स्वमान, अभिमान को खत्म कर देता है क्योंकि स्वमान है श्रेष्ठ अभिमान। तो श्रेष्ठ अभिमान अशुद्ध भिन्न–भिन्न देह–अभिमान को समाप्त कर देता है। जैसे सेकण्ड में लाइट का स्विच ऑन करने से अंधकार भाग जाता है, अंधकार को भगाया Read more…
1. “आज सर्व खजानों के मालिक अपने चारों ओर के सम्पन्न बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चे को सर्व खजानों के मालिक बनाया है। ऐसा खजाना मिला है जो और कोई दे नहीं सकता। तो हर एक अपने Read more…
1. “राज अधिकारी अर्थात् सर्व सूक्ष्म और स्थूल कर्मेन्द्रियों के अधिकारी क्योंकि स्वराज्य है ना? तो कभी–कभी राजे बनते हो या सदा राजे रहते हो? मूल है अपने मन–बुद्धि–संस्कार के भी अधिकारी हो? सदा अधिकारी हो या कभी–कभी? स्व राज्य Read more…
1. “बच्चे कहते वाह बाबा वाह! और बाप कहते वाह बच्चे वाह! बस इसी भाग्य को सिर्फ स्मृति में नहीं रखना है लेकिन सदा स्मृति स्वरूप रहना है। कई बच्चे सोचते बहुत अच्छा हैं लेकिन सोचना स्वरूप नहीं बनना है, Read more…