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Key Points From Daily Sakar Vaani and Avyakt Vaani – In Hindi and English

Vritti | वृत्ति | स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन | Self Transformation to World Transformation | Hindi

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“आपने कभी समुद्र के किनारे रेत पर टहलते हुए अपने पीछे छोड़े गए पैरों के निशानों को रुक कर देखा है ?

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा मन भी इसी तरह से काम करता होगा ?

मेरे कहने का मतलब है –

अगर हम समुद्र के किनारे कुछ पैरों के निशानों को देखें – एक छोटे बच्चे का, दूसरा किसी युवा का, और तीसरा किसी लंबे और भारी व्यक्ति का।

अब, हम सभी जानते हैं कि समुद्र के किनारे रेत में ऐसे पैरों के निशान गायब कैसे हो जाते हैं। जैसे-जैसे समुद्र की लहरें किनारे पर आती हैं, जैसे-जैसे हवा सूखी रेत पर धीरे-धीरे बहती है और उसे उड़ाती है, और जैसे-जैसे दुसरे लोग आपके पैरों के निशानों के ऊपर चलते हैं, आपके पैरों के निशान धीरे-धीरे मिटते जाते हैं।

अगर आपसे मेरा सवाल हो कि तीनों पैरों के निशानों में से कौन सा पहले गायब होगा—बच्चे का, उस युवा का, या फिर लंबे और भारी-भरकम व्यक्ति का? तो आप क्या कहेंगे? आप शायद सोचेंगे कि ज़ाहिर सी बात है कि बच्चे के पैरों के निशान पहले गायब होंगे क्योंकि वह तीनों में सबसे हल्का है। और आप जवाब भी सही होगा।

जैसे रेत पर चलते हुए हम अपने पैरों के निशान छोड़ते हैं, वैसे ही जीवन में हर रोज़ हम अपने मन पर भी सूक्ष्म छाप, सूक्ष्म चिन्ह, छोड़ते हैं। हमारा हर विचार, हमारा संकल्प, हर सम्पर्क — चाहे लोगों के साथ हो या वस्तुओं के साथ—और हमारा हर अनुभव, हमारी स्मृति में अपनी अनूठी छाप, अपने चिन्ह, छोड़ जाता है। कुछ अच्छे, कुछ दर्द भरे।

हमारे भीतर मन में यह जो हमारे past के चिन्ह रह जाते हैं, इन्हे हम हिंदी में “ वृत्तियाँ” और इंग्लिश में “Imprints” कहते है। यह हमारे भीतर की वृत्तियाँ ही हैं जो हमारे व्यवहार, हमारी सोच और हमारे कर्मों को प्रभावित करती हैं और उन्हें आकार देती हैं। यह हमारे भीतर छिपी वृत्तियाँ ही हैं जो हमारे चारों ओर कंपन, हमारी vibrations, और हमारे आस पास के वातावरण, atmosphere, का निर्माण करती हैं।

कुछ वृत्तियाँ हल्की होती हैं, जैसे किसी बच्चे के पैरों के निशान। तो कुछ वृत्तियाँ गहरी होती हैं और लंबे समय तक हमारे साथ, हमारे भीतर छिपी रह कर के, हमारे जीवन को प्रभावित करती रहती हैं। कुछ वृत्तियों से हम अनजाने रहते हैं और उन्हें जीवन भर अपने साथ, अपने भीतर, रखते हैं।

तो अगली बार जब आप समुद्र के किनारे टहलने के लिए जाएँ, या खुद को रेत पर चलते हुए पाएँ, तो एक पल रुक कर अपने पीछे छोड़े हुए पैरों के निशानों को ज़रूर देखें। और खुद को याद दिलाएँ कि Self Reflection, आत्मचिंतन, कितना ज़रूरी है — Past की उन वृत्तियों के बारे में सोचें जो अभी भी आपके मन में जगह बनाई बैठी हैं। हो सकता है कि उनमें से कुछ वृत्तियों के बारे में आप पहले से ही जानते हों, जबकि कुछ अभी भी आपसे छिपी हुई हों और ख़ामोशी से आपके जीवन को आकार दे रहे हों और प्रभावित कर रही हों।

वैसे भी आजकल काफी common हो गया है कि ज़्यादातर लोग इस बात का तो बहुत ध्यान रखते हैं कि वह कैसा खाना खाते हैं या अपने परिवार को खिलाते हैं। वह अपनी कारों में, गाड़ियों में, डाले जाने वाले petrol को भी सोच करके चुनते हैं।

फिर भी, हम में से कितने ऐसे हैं जो इसके बारे में भी सावधान रहते हैं और सोचते हैं कि वह अपने मन को कैसा भोजन खिलाते हैं, अपने मन में क्या डालते हैं – मतलब कि जो भी हम देखते हैं, जो हम सुनते हैं, और जिन विचारों पर हम ध्यान केंद्रित करते हैं, वह सब हमारे मन के लिए भोजन के समान है। क्योंकि ये सभी चीज़ें ख़ामोशी से हमारे मन को और हमारी personality को प्रभावित करती हैं।

यदि हम अपने मन और इंद्रियों को सावधानी से केंद्रित करें, उनके प्रति थोड़ा और अधिक सचेत, थोड़ा और अधिक जागरूक हो सकें, और उनको carefully direct करें, उनको use करें, तो हमारा जीवन और भी ज़्यादा अर्थपूर्ण हो सकता है, और ऐसे हम अपनी इस दुनिया को और भी अच्छा और बेहतर बना सकते है। इसीलिए कहा जाता है – स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन।”

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